गूगल और फेसबुक जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियां ढंडे देशों में अपने डेटा सेंटर बनाती हैं ताकि सर्वर्स ढंडे रहें. दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने सर्वर्स को ढंडा रखने के लिए डेटा सेंटर को समुद्र के अंदर रखने की तैयारी में है. कंपनी ने इसके लिए एक प्रोटोटाइप तैयार करके इसकी टेस्टिंग भी की है.
माइक्रोसॉफ्ट ने प्रोजेक्ट नैटिक के तहत डेटा सेंटर्स को समूद्र के अंदर रखा जाएगा. इससे कंपनी के पैसे भी बचेंगे साथ ही यह पर्यावरण को भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएगा. गौरतलब है कि डेटा सेंटर्स में रखे लाखों सर्वर्स को ढंडा रखने के लिए एयर कंडिशनिंग पर काफी खर्च करने होते हैं. इसके अलावा ऐसी जगह पर डेटा सेंटर्स बनाने होते हैं जहां का तापमान जीरो डिग्री से भी कम हो.
टाइम और पैसे की बचत होगी
पानी के अंदर डेटा सेंटर्स रखने का मतलब सर्वर्स को ठंडा रखने के लिए ज्यादा खर्च करने की जरुरत नहीं होगी. माइक्रोसॉफ्ट का यह भी मानना है कि डेटा सेंटर्स के लिए कैप्सूल सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो जाएंगे जबकि जमीन पर एक डेटा सेंटर बनाने में 2 साल लगते हैं.
इस प्रोजेक्ट में शामिल इंजीनियर्स का यहां तक मानना है कि एक दिन समूद्र के अंदर रखे डेटा सेंटर्स अंडरवॉटर टर्बाइन या टाइडर पॉवर की मदद से खुद बिजली बना सकते हैं.
प्रोटोटाइप डेटा सेंटर 105 दिन रहा पानी के अंदर
कंपनी ने इस आईडिया पर 2013 से काम करना शुरू किया था. 2014 में इसका फिजिकल प्रोटोटाइप बनाया गया और पिछले साल अगस्त में कंपनी ने पहला सबमरीन सर्वर तैयार किया. सर्वर को 8 फुट डायमीटर के स्टील कैप्सूल में रख कर कैलिफॉर्निया कोस्ट पर प्लेस किया गया. यह 105 दिन ऑपरेशनल रहा, कंपनी के मुताबिक यह सफल प्रयोग सफल रहा.
इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले माइक्रोसॉफ्ट के एक कंप्यूटर डिजाइनर बेन कट्लर ने न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया कि पहली बार उन्होंने जब पानी के अंदर सर्वर रखने की बात सुनी तो उन्हें लगा कि इसकी कोई जरुरत नहीं है. पर उन्होंने जब इसके बारे में गौर किया तो इसकी खूबियों के बारे में जान सका.