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पुरानी तकनीक के कारण मोबाइल फोन आसानी से बन सकता है जासूसी का निशाना

दुनिया में लाखों-करोड़ों मोबाइल फोन जासूसी का आसानी से निशाना बन सकते हैं, क्योंकि 1970 के दशक की तकनीक के जरिए इनका इस्तेमाल होता है. एक नए शोध में यह दावा किया गया है.

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मोबाइल फोन
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दुनिया में लाखों-करोड़ों मोबाइल फोन जासूसी का आसानी से निशाना बन सकते हैं, क्योंकि 1970 के दशक की तकनीक के जरिए इनका इस्तेमाल होता है. एक नए शोध में यह दावा किया गया है.

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अमेरिका में होने जा रहे ‘ब्लैक हैट’ सुरक्षा सम्मेलन में इस शोध को प्रस्तुत किया जाएगा. इसमें कहा गया गया है कि पुरानी क्रिप्टोग्राफी तकनीक के इस्तेमाल के कारण बड़ी संख्या में मोबाइल फोन की सुरक्षा को खतरा है.

क्रिप्टोग्राफी के जरिए मोबाइल नेटवर्क पर बातचीत संभव होती है. ‘सेक्योरिटी रिसर्च लैब्स’ के साथ जुड़े विशेषज्ञ क्रिस्टोग्राफर कर्सटन नोल ने पाया कि किस तरह से मोबाइल फोन के स्थान, एसएमएस तक पहुंच तथा व्यक्ति के वायसमेल नंबर में बदलाव संभव है. नोल ‘रूटिंग सिम कार्ड’ नाम से एक प्रस्तुति 31 जुलाई को लास वेगास में आयोजित ब्लैक हैट सुरक्षा सम्मेलन में देंगे.

दुनिया भर में इस वक्त सात अरब से अधिक सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है. बातचीत के समय सिम कार्ड एनक्रिप्सन का इस्तेमाल करते हैं.

नोल के शोध में पाया गया है कि सिम एनक्रिप्सन मानक 1970 के दशक हैं, जिन्हें डाटा एनक्रिप्सन स्टैंडर्ड (डीईएस) कहा जाता है. शोध का संक्षिप्त रूप उनकी कंपनी के ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया है. डीईएस को एनक्रिप्सन का सबसे कमजोर रूप माना जाता रहा है और कई मोबाइल ऑपरेटर अब एडवांस्ड एनक्रिप्सन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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डीईसी के इस्तेमाल होने वाले मोबाइल फोन पर भेद लगाना आसाना है. ब्लैक हैट सुरक्षा सम्मेलन 2013 का मकसद भविष्य में आईटी क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर गहन मंथन करना है. इसमें दुनियाभर के जानकार लोग शामिल होंगे.

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