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नई दूरसंचार नीति को मंजूरी, 100 अरब डॉलर निवेश, 40 लाख नौकरियों का दावा

स्पेक्ट्रम का ऊंचा मूल्य तथा अन्य संबंधित शुल्क दूरसंचार सेवा क्षेत्र की प्रमुख चिंता है. इस क्षेत्र पर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है.

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो- रॉयटर्स)
सांकेतिक तस्वीर (फोटो- रॉयटर्स)

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केंद्र सरकार ने बुधवार को नई दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी. इस नई नीति को राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी) 2018 का नाम दिया गया है. इससे सरकार को 2022 तक क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और 40 लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है.

नीति में प्रत्येक नागरिक को पांच साल में 50 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है. दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, 'मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति को आज मंजूरी दे दी.'

सिन्हा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संचार प्रणालियों में तेजी से प्रगति हो रही है. 5जी, इंटरनेट आफ थिंग्स और मशीन टु मशीन संचार आदि क्षेत्रों में यह प्रगति विशेष रूप से तेज है. उन्होंने कहा कि इस समय उपभोक्ताओं पर केंद्रित एप्लिकेशन (उपयोग से प्रेरित) नीति लाने की जरूरत महसूस की जा रही थी.

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नीति के मसौदे के तहत एनडीसीपी द्रुत गति की ब्रॉडबैंड पहुंच बढ़ाने, 5 जी और आप्टिकल फाइबर जैसी आधुनिक तकनीक के उचित मूल्य में इस्तेमाल पर केंद्रित है. एनडीसीपी 2018 के कुछ उद्देश्यों में सभी को ब्रॉडबैंड तक पहुंच उपलब्ध कराना, 40 लाख नए रोजगार के मौके देना और वैश्विक आईसीटी इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सुधारकर उसे 50 स्थान पर लाना शामिल है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सिन्हा ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दूरसंचार क्षेत्र का हिस्सा बढ़कर आठ प्रतिशत पर पहुंच जाएगा जो अभी छह प्रतिशत है. हमें क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है.' उन्होंने कहा कि हमारी सोच एक देशव्यापी, लचीले, सुरक्षित और उचित मूल्य वाले संचार ढांचे की है.

इसमें डिजिटल संचार तक सतत और कम मूल्य में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 'स्पेक्ट्रम के महत्तम मूल्य' के प्रावधान को शामिल किया गया है.

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