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तन्हाई के मारे लोग लेते हैं फेसबुक का सहारा: रिसर्च

वास्तविक जीवन में तन्हा महसूस करने वाले लोगों की फेसबुक पर तादाद बढ़ती जा रही है. एक ताजा अध्ययन के मुताबिक लोग अपनी तन्हाई से निजात पाने और नए दोस्त बनाने के लिए तेजी से फेसबुक का रुख कर रहे हैं.

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वास्तविक जीवन में तन्हा महसूस करने वाले लोगों की फेसबुक पर तादाद बढ़ती जा रही है. एक ताजा अध्ययन के मुताबिक लोग अपनी तन्हाई से निजात पाने और नए दोस्त बनाने के लिए तेजी से फेसबुक का रुख कर रहे हैं.

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गौरतलब है कि ऐसा माना जा रहा था कि फेसबुक का उपयोग करने वाले लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने की भावना पनप जाती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, फेसबुक के कारण इसके उपयोगकर्ताओं में अकेला होने की भावना नहीं पनपती, बल्कि लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं.

अमेरिका की विस्कोंसिन यूनिवर्सिटी में संचार के सहायक प्राध्यापक हेयोन सोंग ने कहा, 'खुलकर सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोगों की अपेक्षा अकेले रहने वाले लोग फेसबुक पर ज्यादा समय बिताते हैं. अकेले रहने वाले ऐसे लोग जो थोड़े शर्मीले स्वभाव के हैं या जिनका समाज में बहुत कम लोगों से संपर्क है, वे अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने के लिए फेसबुक का रुख कर लेते हैं.'

अध्ययनकर्ताओं ने फेसबुक का इस्तेमाल करने और अकेले जीवनयापन करने वाले लोगों के बीच के अंतरसंबंध को समझने के लिए यह अध्ययन किया और पाया कि जो व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में जितना अकेला है वह फेसबुक उतनी ही अधिक समय बिताता है. शोध पत्रिका 'कंप्यूटर्स इन ह्यूमन बिहैवियर' के ताजा अंक में प्रकाशित शोधपत्र में सोंग ने कहा, 'इंटरनेट के इस्तेमाल से लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे अकेलापन की प्रवृत्तियां पनपती है. ऐसे शोध नतीजों की भी हमारा अध्ययन पुष्टि करता है.' सोंग ने कहा, 'अकेलेपन से ग्रस्त लोग फेसबुक पर अधिक समय बिताते हैं न कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने से लोगों में अकेलापन बढ़ता है.'

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(इनपुट: IANS)

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