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चड्ढी बदलेंगे, बडी नहीं, क्या वाकई?

'पेप्सी' ने हाल ही में एक विज्ञापन जारी किया है, जिसे यूट्यूब पर काफी शेयर किया जा रहा है. छोटी सी कहानी है. कुछ इस तरह कि कुछ दोस्तों का स्कूल का आखिरी दिन है और वे पुराने क्लासरूम में जाकर बीती यादें ताजा कर रहे हैं.

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'पेप्सी' ने हाल ही में एक विज्ञापन जारी किया है, जिसे यूट्यूब पर काफी शेयर किया जा रहा है. छोटी सी कहानी है. कुछ इस तरह कि कुछ दोस्तों का स्कूल का आखिरी दिन है और वे पुराने क्लासरूम में जाकर बीती यादें ताजा कर रहे हैं. याद कर रहे हैं कि क्या हुआ था जब नर्सरी क्लास में टिफिन खोलते हुए हाथ से छूटकर गिर गया था, और कैसे ग्रुप फोटो के दौरान किसी ने जीभ बाहर निकाल दी थी तो किसी ने सिर पर हाथ रख लिया था.

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पहली नजर में यह विज्ञापन आपको 'क्यूट' ही लगेगा. यकीनन है भी, पर गौर से दोबारा देखेंगे तो शायद  विज्ञापन की मूल भावना से असहमत भी हो पाएं. शायद आपको भी लगे कि कैसे बाजार आपके हर भावनात्मक पल पर अपना दावा जताना चाहता है. कैसे यह दावा करता है कि आपका बचपन उसी के ब्रांड के साथ बीता और आप जवान भी उसी के साथ हुए. यह भी एक नजरिया है किसी विज्ञापन को देखने का. बाकी क्यूट वीडियोज तो आप रोज देखते हैं.

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