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डेल के कुछ लैपटॉप में मिला सुपरफिश मैलवेयर, जो कभी डिलीट नहीं होता!

इस साल की शुरुआत में खबर आई थी कि लेनोवो अपने लैपटॉप में कभी न हटाए जा सकने वाले क्रैपवेयर का इस्तेमाल कर रहा है. अब ऐसे ही इल्जाम डेल पर लग रहे हैं. खबरों के मुताबिक, मशहूर लैपटॉप निर्माता डेल अपने लैपटॉप को सुपरफिश मैलवेयर के साथ बेच रहा है जो हैकर्स को लैपटॉप ट्रैक करने में मदद कर सकता है.

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Representational Image
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इस साल की शुरुआत में खबर आई थी कि लेनोवो अपने लैपटॉप में कभी न हटाए जा सकने वाले क्रैपवेयर का इस्तेमाल कर रहा है. अब ऐसे ही इल्जाम डेल पर लग रहे हैं. खबरों के मुताबिक, मशहूर लैपटॉप निर्माता डेल अपने लैपटॉप को सुपरफिश मैलवेयर के साथ बेच रहा है जो हैकर्स को लैपटॉप ट्रैक करने में मदद कर सकता है.

सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर जो नॉर्ड ने लैपटॉप में eDellRoot नाम का रोग सर्टिफिकेट ढूंढा है. यह विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से हटाने के बाद खुद से रिइंस्टॉल हो जाता है. 

क्या है सुपरफिश
यह एक तरह का मैलवेयर है जिसे ऑपरेटिंग सिस्टम से डिलीट नहीं किया जा सकता. यह आपके सिस्टम में सेल्फ डिजाइन्ड ट्रांसफर लेयर प्रोटोकॉल (TLS) की तरह किसी होस्ट के जरिए डाला जाता है.  इसके जरिए अटैकर किसी यूजर के कंप्यूटर के सीजन कुकीज, सेव्ड पासवर्ड और संवेदनशील जानकारियां चुरा सकते हैं.

ऐसे जानें आपके लैपटॉप में सुपरफिश है या नहीं

विंडोज के साथ R की प्रेस करने पर आपको Run बॉक्स दिखेगा जिसमें आपको certmgr.msc टाइप करके एंटर प्रेस करना है. इसके बाद आपके विंडोज में सर्टिफिकेट मैनेजर खुलेगा. यहां लेफ्ट साइड में Trusted root certification authority फोल्डर को आेपन करके Certificate पर क्लिक करना है. यहां आपको eDellRoot सर्च करना है. अगर आपको यह मिलता है तो इसे रिमूव करेंगे. उस समय यह रिमूव तो होगा पर फिर से इंस्टॉल हो जाएगा.

कौन से लैपटॉप्स हैं इससे प्रभावित
रिसर्चर्स के मुताबिक ये सुपरफिश Dell Inspiron 5000 सीरीज, Dell XPS 15 और Dell XPS 13 में पाया गया है.

कंपनी कर रही है जांच

डेल पर लगे इस इल्जाम के बाद कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि इस मामले की छानबीन कर रहे हैं और इंस्टॉल्ड सर्टिफिकेट को जांच रहे हैं.

ऐसे बचें

रिसर्चर्स ने लोगों को इस सुपरफिश वाले लैपटॉप यूजर्स को फायरफॉक्स ब्राउजर यूज करने की सलाह दी है, क्योंकि दूसरे ब्राउजर के मुकाबले फायरफॉक्स ज्यादा सिक्योर है. इसमें किसी वेबसाइट में ट्रस्टेड सर्टिफिकेट ना होने पर आपको वार्निंग दी जाती है जिससे आप हैकिंग से बच सकते हैं.

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