फ्री वाईफाई या पब्लिक वाईफाई यूज करना आपके लिए एक रिस्क की तरह है. ये बात सही है कि अगर पब्लिक वाईफाई को सिक्योर रखा जाए तो एंड यूजर्स पर हैकिंग का खतरा कम रहता है, लेकिन भारत में डेटा और साइबर सिक्योरिटी को लेकर व्यवस्था लचर ही है.
ऐसे में अगर आपको अगर कहीं फ्री वाईफाई या पब्लिक वाईफाई मिल रहा है तो आपको इसे यूज करने से पहले सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि इसके कई गंभीर खतरे हैं. मोटे शब्दों में कहें तो आपका मोबाइल फोन में रखा संवेदनशील डेटा चोरी हो सकता है.
फ्री या पब्लिक वाईफाई यूज करने से आपके मोबाइल में सेव किया गया लॉग इन डीटेल्स चोरी हो सकते हैं. आप हैकर्स के निशाने पर आ सकते हैं और आपके स्मार्टफोन के साथ छेड़ छाड़ किया जा सकता है.
अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में फ्री वाईफाई हॉट स्पॉट लगाने का ऐलान कर दिया है. जल्द ही बस स्टैंड पर और दूसरे पब्लिक प्लेस पर आफ फ्री वाईफाई यूज कर पाएंगे. हर महीने यूजर्स को 15GB डेटा दिया जाएगा.
कितना सिक्योर होते हैं पब्लिक वाईफाई
पब्लिक वाईफाई यूज करने के सैकड़ों रिस्क हैं. इससे पहले आपको ये जानना जरूरी होगा कि पब्लिक वाईफाई काम कैसे करते हैं. जगह जगह पर वाईफाई हॉट स्पॉट लगाए जाएंगे. दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए हॉट् स्पॉट कितने सिक्योर होंगे ये तो आने वाले समय में पता चलेगा. क्योंकि जब ये टेस्ट नहीं किया जाए कि इन वाईफाई हॉट् स्पॉट के लिए कौन सा एन्क्रिप्शन सिस्टम यूज किया जा रहा है, ये कहना मुश्किल है कि ये आपके लिए सिक्योर है या नहीं.
बहरहाल फ्री या पब्लिक वाईफाई से कनेक्ट करके अपने मोबाइल या लैपटॉप में इंटरनेट चलाने का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि आपका डेटा चोरी हो सकता है. अब आप सोच रहे होंगे ये कैसे संभव है?
मैन इन द मिडिल अटैक्स के जरिए हैकर्स पब्लिक वाईफाई से जुड़े स्मार्टफोन और लैपटॉप्स आसानी से हैक कर सकते हैं. आपके मोबाइल और हॉट स्पॉट के बीच के बीच कनेक्शन में जो डेटा ट्रैवल होता है वो पैकेट के फॉर्म में होता है. हैकर्स इसे कई टूल्स का सहारा लेकर चोरी करते हैं. हालांकि ये डेटा एनक्रिप्टेड होता है, लेकिन फिर भी इसे डिक्रिप्ट किया जा सकता है.
आप किसी ईमेल करेंगे, कॉल करेंगे, फोटो शेयर करेंगे और इस तरह की तमाम ऐक्टिविटी को हैकर आराम से कलेक्ट कर सकता है. सबसे गंभीर ये है कि अगर आप पब्लिक वाईफाई या फ्री वाईफाई के जरिए कोई ट्रांजैक्शन कर रहे हैं तो आपके कार्ड डीटेल्स भी चोरी हो सकते हैं.
पब्लिक वाईफाई के जरिए हैकर्स आपके स्मार्टफोन में आसानी से मैलवेयर इंजेक्ट कर सकते हैं. इसके बाद आपके स्मार्टफोन को रिमोटली कंट्रोल करके संवेदनशील जानकारियों की चोरी की जा सकती है.
एक खास तरह के सॉफ्टवेयर के जरिए वाईफाई सिग्नल्स की भी जासूसी की जाती है. इसके जरिए हैकर रियल टाइम आपके द्वारा की गई स्मार्टफोन या लैपटॉप की ऐक्टिविटी को मॉनिटर कर सकता है. इसे स्निफिंग भी कह सकते हैं.
ज्यादातर साइबर सिक्योरिटी फर्म्स और एक्स्पर्ट्स सलाह देते हैं कि पब्लिक वाईफाई यूज करने से बचना चाहिए. इसके बावजूद भी कुछ ऐसे तरीकें हैं जिन पर अमल करके आप पब्लिक वाईफाई कनेक्ट करने के बाद भी सिक्योर रह सकते हैं. इसके बारे में हम आपको अगली कड़ी में बताएंगे.