scorecardresearch
 

टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स का आधार डेटा डिलीट करें: जस्टिस चंद्रचूड़

ये पूरा मामला आधार का है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को कुछ शर्तों के साथ संवैधानिक करार दिया है. लेकिन मोबाइल नंबर से इसे लिंक करना अनिवार्य नहीं है.

Advertisement
X
Representational Image
Representational Image

Advertisement

आधार पर बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है. आधार को संवैधानिक नजरिए से वैध बताया गया है. फैसले में कहा गया है कि मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना जरूरी नहीं है. किसी भी प्राइवेट सर्विस के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा. बैंक अकाउंट भी बिना आधार दिए खोले जा सकेंगे, लेकिन इसके लिए पैन कार्ड जरूरी होगा. पैन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य है.

फैसला आने से पहले तक रिलायंस जियो सहित लगभग सभी टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराना अनिवार्य बताती हैं. इनमें से कुछ कंपनियां बिना आधार के सिम नहीं देती हैं. लगातार यूजर्स को कॉल और मैसेज के जरिए बताया गया कि आधार से लिंक न करने पर आपका नंबर बंद कर दिया जाएगा. अब काफी लोगों ने अपने आधार को मोबाइल नंबर से लिंक करा लिया है.

Advertisement

अब सवाल ये है कि जिन लोगों ने आधार अनिवार्य समझ के टेलीकॉम कंपनियों को दिया है अगर वो अपना डेटा डिलीट कराना चाहें तो क्या करेंगे? ट्विटर पर कई यूजर्स इस तरह के सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने न चाहते हुए भी टेलीकॉम कंपनियों को आधार डेटा दिया ताकि फोन नंबर बंद न हो. अब वो चाहते हैं कि कंपनियां उनका आधार डीटेल्स डिलीट करें ताकि इनका गलत इस्तेमाल न हो. आपको बता दें कि कई बार आधार का गलत इस्तेमाल सामने आए हैं.

आधार पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ में एक जस्टिस चंद्रचूड़ ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को आधार डेटा डिलीट करने को कहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि मोबाइल फोन के साथ आधार डेटा लिंक करना इंडिविजुअल लिबर्टी पर खतरा है. उन्होंने अपने फैसले में टेलीकॉम ऑपरेटर्स से यूजर्स द्वारा कलेक्ट किया गया आधार डेटा डिलीट करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में कहा ऑथेन्टिकेशन के लिए पर्याप्त डिफेंस मैकेनिज्म है. फैसले में जस्टिस सीकरी ने कहा, ‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं CIDR में स्टोर डेटा के आधार पर किसी यूजर का प्रोफाइल संभालना मुश्किल है. डेटा ऑथेन्टिकेशन 6 महीने से ज्यादा समय तक के लिए स्टोर नहीं किए जा सकते हैं. फिलहाल नियम है कि इसे 5 साल तक आर्काइव किया जा सकता है’

गौरतलब है कि आधार मामले पर सुप्रीम कोर्ट में करीब 38 दिनों तक तीखी सुनवाई चली. 10 मई को ही कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

Advertisement

आपको बता दें कि ये पूरा मामला आधार को लेकर जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को कुछ शर्तों के साथ संवैधानिक करार दिया है. पांच जजों की पीठ ने आधार के पक्ष में 4-1 से फैसला सुनाया.

जस्टिस एके सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम खानविलकर की ओर से अपना फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है, इस पर हमला संविधान के खिलाफ है.

Advertisement
Advertisement