अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डानाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ट्रंप टावर में अमेरिकी टेक्नॉलोजी दिग्गज के टॉप ऑफिशियल के साथ राउंड टेबल मीटिंग की है. चुनाव से पहले उन्होंने सभी टेक कंपनियों के सहयोग से एक ऐसा डेटाबेस तैयार करने की बात की थी जिसमें सभी अमेरिकी मुसलमानों की जानकारी हो. इसके अलावा दूसरे देशों से आए हुए मुसलामानों की जानकारी और उनपर नजर निगरानी वाली परियोजना लाने की बाते भी कहीं थीं.
इस मीटिंग की बाद रिपोर्ट्स आनी शुरु हुईं की ट्रंप ने इस दौरान ऐपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और उबर जैसी कंपनियों से इस मामले में बातचीत की है. लेकिन इसके बाद जब बजफीड ने एक एक करके दुनिया की लगभग सभी बड़ी टेक कंपनियों से इस बारे में पूछा तो उनके जवाब एक जैसे ही थे. इस मामले में ट्विटर का राय पहले से लोगों को पता है. ट्विटर के सीईओ कई बार पब्लिक में यह कह चुके हैं कि वो डोनल्ड ट्रंप के ऐसी किसी भी परियोजना का हिस्सा नहीं बनेंगे जिनमें किसी की निगरानी की जाएगी. और अब दूसरी कंपनियों ने भी अपना स्टैंड इस मामले पर साफ किया है.
डोनल्ड ट्रंप ने वादा किया था कि वो टेक कंपनियों के साथ मिलकर एक मुस्लिम डेटाबेस बनाएंगे जहां से उनकी निगरानी की जाएगी. इस सवाल पर ये हैं टेक कंपनियों के जवाब.
गूगल, ऐपल और उबर ने मुसलामानों पर निगरानी वाला डेटाबेस बनाने के सावाल के जवाब में बज फीड से कहा है, 'पहले तो हमें ऐसा करने को सीधे तौर पर नहीं कहा गया है, और अगर ऐसा हुआ भी तो मुस्लिम रजिस्ट्री जैसी कोई भी चीज नहीं बनाएंगे' गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा, ' ऐसा कोई प्रोपोजल अभी तक हमारे सामने नहीं रखा गया है'
ऐपल ने ये कहा
मुस्लिम रजिस्ट्री बनाने के लिए डेटा देने के सवाल पर ऐपल के एक प्रवक्ता ने कहा , 'हमें लगता है कि सभी लोगों के साथ एक सा व्यव्हार होना चाहिए चाहे वो किसी धर्म को मानते हैं, या फिर कैसे दिखते हैं या वो किसे प्यार करते हैं. हमें ऐसा करने को अभी तक नहीं कहा गया है और अगर कहा गया तो भी हम इसकी खिलाफत करेंगे'
IBM ने ये कहा
टेक्नॉलोजी दिग्गज IBM ने इस सवाल पर कहा है, 'नहीं, IBM ऐसे काल्पनिक प्रोजेक्ट पर काम नहीं करेगी. हमारी कंपनी किसी के धर्म, जेंडर, लैंगिक रूक्षान या रंग के आधार पर किसी को बांटे जाने के खिलाफ है और हमारा यह ट्रैक रिकॉर्ड भी है. ऐसा पहले से है और आगे भी ऐसा ही रहेगा और यह कभी नहीं बदलेगा. '
ये है उबर का जवाब
कैब सर्विस उबर ने भी इस सवाल पर साफ तौर से कहा हम ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले. इसके अलावा यह भी साफ किया है कि वो किसी के बनाए गए मुस्लिम रजिस्ट्री में अपना डेटा नहीं देंगे.
फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट ने भी किया मना
इनके अलावा सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक और सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी निगरानी के लिए किसी तरह के डेटाबेस बनाने में मदद न करने की बात कही है.
अमेजॉन और ओरेकल ने साधी चुप्पी
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुस्लिम रजिस्ट्री और डेटाबेस के सवाल पर फिलहाल अमेजॉन और ओरैकल ने कुछ भी कहने से इनकार किया है. ओरेकल ने तो यह तक बताने से इनकार किया है कि नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी यानी NSA अभी भी उनके कस्टमर्स में से एक हैं.