कोलकाता के तीन विप्रो कर्मचारियों को ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी टॉक-टॉक पर हुए साइबर अटैक में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है . हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इस डेटा थेफ्ट में उनका रोल क्या था.
टॉक-टॉक के प्रवक्ता ने कहा, 'हम विप्रो और कोलकाता की लोकल पुलिस के साथ मिलकर उन हैकर्स को दबोचने का काम कर रहे हैं जो इस हैकिंग में शामिल थे. मामले की जांच के लिए पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है जो हमारी पॉलिसी और विप्रो के साथ किए गए हमारे कॉन्ट्रेक्ट में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे थे.'
पिछले साल अक्टूबर में ब्रिटेन के इतिहास का सबसे बड़ा साइबर हमला हुआ. वहां की टेलीकॉम कंपनी टॉक-टॉक पर साइबर अटैक किया गया जिसमें कंपनी के 1 लाख 57 हजार से ज्यादा कस्टमर्स की पर्सनल और बैंक से जुड़ी जानकारी लीक हो गई. कंपनी इसके लिए बड़े स्तर पर जांच चला रही है.
एक ब्रिटिश अखबार के मुताबिक गिरफ्तार किए गए तीन कर्मचारी विप्रो के कॉल सेंटर में काम करते थे. खबरों के मुताबिक ब्रिटिश टेक कंपनी टॉक-टॉक और भारतीय फर्म विप्रो में 70 मिलियन पाउंड की डील हुई है, पर कंपनी के प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देने से यह कहते हुए कर इनकार किया कि यह काफी संवेदनशील मामला है.
विप्रो ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि सिक्योरिटी ब्रीच के मामले में वे जीरो टॉलरेंस पॉलिसी फॉलो करते हैं. कंपनी के मुताबिक, वह इस सिक्योरिटी ब्रीच करने वालों को पकड़ने के लिए टॉक-टॉक के साथ मिलकर काम कर रही है और इनके जांच अधिकारियों को आगे भी सपोर्ट करेगी. हालांकि विप्रो ने तीन कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर अभी कुछ भी कहने से यह कह कर इनकार किया है कि फिलहाल मामले की जांच चल रही है.