आंत की गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर वरदान साबित हो रहा है. ऐसे मरीज ट्विटर का इस्तेमाल ग्लूटेन मुक्त भोजन से संबंधित जानकारियों के लिए कर रहे हैं.
एक ब्रिटिश शोधकर्ता ने यह जानकारी दी है. डेटा माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर वारविक विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लीनरी मेथेडोलॉजी (सीआईएम) की सैम मार्टिन ने सिलिएक रोग (पेट संबंधी रोग) के एक ऑनलाइन नेटवर्क का खुलासा किया है. सिलिएक रोग में प्रतिरक्षा प्रणाली ग्लूटेन (गेहूं, राई, जौ तथा जई में पाया जाने वाला एक प्रोटीन) से असामान्य ढंग से प्रतिक्रिया करता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है. इसके कारण कई तरह के जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) तथा कुअवशोषण के लक्षण सामने आते हैं.
उन्होंने नेटवर्क में पाया कि लोग आपस में इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि शहर में उन्हें ग्लूटेन मुक्त भोजन कहां मिलेगा, लक्षणों से किस प्रकार निपटें आदि. मार्टिन ने कहा, 'सह-शब्द तथा भावना का विश्लेषण कर मैं इस बात को जानने में सक्षम हुई कि किस प्रकार रोगी जानकारी, फैसले तथा जोखिम से बचने के लिए सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल कर रहे हैं.' मार्टिन ने लंदन में शुक्रवार को अपना शोध ब्रिटिश सोशियोलॉजिकल सोसायटी के सम्मेलन 'एजिंग, बॉडी एंड सोसायटी स्टडी ग्रुप कांफ्रेस' में प्रस्तुत किया.