WiFi से सौ गुना तेज कनेक्टिविटी वाली तकनीक जल्द ही दस्तक देने वाली है. फिलहाल यह तकनीक अपने शुरुआती दौर में है. अगले कुछ सालों में यह वाईफाई को रिप्लेस कर सकती है.
इस तकनीक में इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए विजिबल लाइट कम्यूनिकेशन (VLC) का यूज किया गया है जिसके जरिए इसकी कनेक्टिविटी स्पीड लैब में 1Gbps दर्ज की गई है, जो आम वाईफाई से 100 गुना ज्यादा है.
पिछले दो सालों तक इस तकनीक पर कई वैज्ञानिक काम कर रहे थे. अब इस तकनीक को पहली बार टेस्टिंग लैब से बाहर प्रयोग किया है जहां इसकी कनेक्टिविटी स्पीड 1Gbps टेस्ट की गई. गौरतलब है कि ज्यादातर आम वाईफाई राउटर्स में 100Mbps की कनेक्टिविटी स्पीड होती है.
इसे 'इंटरनेट' की स्पीड ना समझें, यह कनेक्टिविटी स्पीड है.
कई बार लोग डिवाइस की कनेक्टिविटी स्पीड को इंटरनेट स्पीड समझने की भूल करते हैं. उदाहरण के तौर पर वाईफाई राउटर की कनेक्टिविटी स्पीड 100Mbps होती है जिसका मतलब, राउटर से आपका स्मार्टफोन या लैपटॉप 100Mbps स्पीड से कनेक्ट हो रहा है. जबकि इंटरनेट स्पीड वो है जो सर्विस प्रोवाइडर आपको देते हैं.
वैसे ही Li-Fi की 1Gbps स्पीड को इंटरनेट स्पीड ना समझें, क्योंकि यह राउटर से आपके डिवाइस के बीच की कनेक्टिविटी की स्पीड है, जिससे आपके इंटरनेट स्पीड पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
ऑफिस और लोकल नेटवर्किंग में होगा फायदा
अगर यह तकनीक शुरू हो जाती है तो इससे लोकल नेटवर्किंग में काफी फायदा होगा जहां के सबी कंप्यूटर्स लोकल वाईफाई नेटवर्क से कनेक्ट होते हैं. Estonian कंपनी के सीईओ दीपक सोलंकी ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया ' हम कई इंडस्ट्रीज में इस तकनीक की टेस्टिंग के लिए पायलट प्रोजेक्ट चला रहे हैं, ताकि इस वीएलसी तकनीक को यूज किया जा सके'
क्या है Li-Fi, और किसने बनाया इस तकनीक को...
यह WiFi जैसी ही वायरलेट टेक्नॉलोजी है जिसमें विजिबल लाइट कम्यूनिकेशन (VLC) के जरिए डेटा ट्रैवल कराया जाता . यूनिवर्सिटी ऑफ एंडिनबर्ग के हैरल्ड हास ने ने 2011 में पहली बार इस तकनीक को लोगों के सामने डेमोन्सट्रेट करके दिखाया.
चल रहा है पायलट प्रोजेक्ट
उन्होंने कहा, फिलहाल हमने इंडस्ट्रियल इंवायरमेंट के लिए स्मार्ट लाइटिंग सॉल्यूशन डिजाइन किया है जहां लाइट के जरिए डेटा कम्यूनिकेशन किया जा सके. इसके अलावा हम प्राइवेट क्लाइंट्स के साथ भी इसका पायलट प्रोजेक्ट चला रहे हैं जहां ऑफिस में इंटरनेट एक्सेस करने के लिए Li-Fi नेटवर्क का यूज किया जा सके.
सिक्योर कनेक्शन के लिए फायदेमंद
इस तकनीक से सिक्योर नेटवर्क बनाने में भी मदद मिलेगी क्योंकि वाईफाई की तरह इसके सिग्नल दीवार को पार नहीं कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर एक कमरे में इसे लगाया जाए तो उस कमरे से बाहर इसके सिग्नल नहीं जाएंगे जिससे इसकी कनेक्टिविटी और भी मजबूत और सिक्योर भी होगी. यही वजह है कि LiFiके जरिए लैब में 224Gbps मैक्सिमम स्पीड से डेटा ट्रैवल कराया गया.