जैसे फिंगरप्रिंट स्कैनर अब लगभग सभी मिड रेंज स्मार्टफोन में दिया जा रहा है वैसे ही आने वाले समय में फेशियल रिकॉग्निशन फीचर भी आम हो जाएगा. यह ऐसा फीचर हो जए फिलहाल जरूरी तो नहीं है, लेकिन कंपनियां इसे अपने स्मार्टफोन के मार्केटिंग के लिए यूज करेंगी.
स्मार्टफोन के अलावा, अमेरिकी ट्रंप सरकार इंटरनेशल फ्लाइट में बोर्ड करने के लिए जल्द ही फेशियल जियोमैटरी स्कैन लागू कर सकती है. इसके लिए कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम की टेस्टिंग पहले से ही शुरू कर दी है.
हाल ही में सैमसंग ने अपना फ्लैगशिप स्मार्टफोन Galaxy S8 और S8+ लॉन्च किया है. कंपनी ने इसमें दिए गए फेशियल रिकॉग्निशन को काफी बढ़ा चढ़ा कर पेश किया है. फोन को अनलॉक करने के लिए दिया गया यह फीचर लोगों को पसंद भी आ रहा है. कई लोगों को यह फीचर किसी काम का नहीं लग रहा है.
कैसे काम करता है फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम
बहरहाल आपके लिए यह जानना जरूरी है कि फेशियल रिकॉग्निशन काम कैसे करता है. चाहे यह स्मार्टफोन में हो या फिर किसी एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी जांच के लिए.
अगर आप सोशल मीडिया यूज करते हैं तो पता होगा कैसे फेसबुक आपके दोस्तों के चेहरे के आधार पर फोटो टैग करने का ऑप्शन देता है. वो भी एक तरह का फेशियल रिकॉग्निशन है, लेकिन ये ज्यादा सिक्योर है और इससे अलग है.
फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम एक कंप्यूटर ऐप्लिकेशन है जो किसी शख्स को डिजिटल इमेज के तौर पर वेरिफाई कर सकता है. फेशियल फीचर को डेटाबेस में फीड करके उसका मिलान डिजिटली कराया जाता है. आमतौर पर इसे सिक्योरिटी सिस्टम में यूज किया जाता है.
एक बार चेहरे के फीचर को स्कैन करके फीड किया जाता है. यह तीन तरीकों से होता है- डिटेक्शन, फेसप्रिंट क्रिएशन और वेरिफिकेशन/आइडेंटिफिकेशन. एक बार इमेज कैप्चर होने के बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इसे ऐनालाइज करता है और चेहरे की पहचान करता है. आप इसे दूसरे बायोमैट्रिक जैसे फिंगरप्रिंट स्कैनर और आईरिस स्कैनर की तरह भी समझ सकते हैं.
फेशियल रिकॉग्निशन में क्या समस्याएं आ सकती हैं
Galaxy S8 लॉन्च होने के बाद एक टेक एक्स्पर्ट ने एक वीडियो जारी किया. इसमें उसमें Galaxy S8 के फेशियल रिकॉग्निशन लॉक को एक फोटो के जरिए तोड़ दिया. आप इस उदाहरण से काफी अच्छे से समझ सकते हैं, फेशियल रिकॉग्निशन में क्या समस्या आ सकती है.
अगल फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम अगर किसी शख्स की पहचान गलत फीड कर ले तो काफी दिक्कत आ सकती है . अगर ऐसा हुआ तो पहचान की समस्या भी आ सकती है. उदाहरण के तौर पर किसी प्रतिबंधित इलाके में गलत शख्स भी घुस सकता है. इतना ही नहीं अगर शक्ल थोड़ी मिलती जुलती हुई तो भी समस्या आ सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि सही शख्स की पहचान करने में चूक हो जाए तो फिर क्यो होगा?
ये सब संभावित समस्याएं हैं जो फेशियल रिकॉग्निशन में आ सकती हैं और समय समय पर आती भी हैं.
प्राइवेसी समस्या
सही गलत पहचान छोड़ भी दें तो फेशियल रिकॉग्निशन से प्राइवेसी समस्या भी आ सकती है. सरकार की लोगों के फेशियल डीटेल्स और फिंगरप्रिंट्स लेकर एक डेटाबेस बना सकती हैं. इस डेटाबेस को लोगों को ट्रैक करने के लिए यूज किया जा सकता है जो काफी खतरनाक साबित होगा.