हाल ही में नेटफ्लिक्स पर एक वेब-सीरीज खाकी द बिहार चैप्टर आई है. इसमें दिखाया गया है कि क्रिमिनल की एक्टिविटी पर फोन टैपिंग (Phone Tapping) के जरिए नजर रखी जाती है. जिस वजह से पुलिस को उसे पकड़ने में काफी मदद मिलती है.
Phone Tapping शब्द नया नहीं है. आपने इसे कई बार पहले भी सुना होगा. लेकिन, कई बार लोग कॉल रिकॉर्डिंग और फोन टैपिंग को एक मान लेते हैं. जबकि दोनों काफी अलग है. कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर हम पहले भी बात कर चुके हैं.
अलग है फोन टैपिंग और कॉल रिकॉर्डिंग
इसमें आप सामने वाले की बात फोन के इनबिल्ट रिकॉर्डिंग से रिकॉर्ड (Call Record) कर सकते हैं. जबकि फोन टैपिंग का मामला थोड़ा अलग है. आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी फोन कॉल रिकॉर्ड की जा रही है या नहीं, इसका पता आप लगा सकते हैं. आप इस लिंक पर क्लिक करके इसके बारे में डिटेल्स में पढ़ सकते हैं.
हाल ही में कई नेता भी आरोप लगा चुके हैं कि उनके फोन को टैप किया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फोन टैपिंग है क्या? Phone Tapping जैसा की नाम से ही क्लियर है इसमें सेल फोन ट्रैक किया जाता है.
इसमें फोन कॉल्स के अलावा दूसरी एक्टिविटी को भी अलग-अलग सॉफ्टवेयर के जरिए ट्रैक किया जाता है. इसमें सामने वाले को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है. इसको लेकर ऑथोरिटी मोबाइल नंबर सर्विस प्रोवाइडर से रिक्वेस्ट कर सकती है.
फोन टैपिंग के लिए चाहिए होगी परमिशन
हालांकि, इसके लिए भी कानून है. यानी बिना परमिशन किसी फोन को टैप नहीं किया जा सकता है, ना ही उनकी बातचीत रियल टाइम में कनेक्टेड कंप्यूटर के जरिए सुनी जा सकती है. परमिशन की बात करें तो राज्य में पुलिस का अधिकार दिया गया है.
जबकि केन्द्र में प्रमुख एजेंसी किसी फोन को टैप करने का अधिकार रखती है. लेकिन, ऐसा नहीं है किसी का भी फोन कॉल अपने मन मुताबिक रिकॉर्ड किया जा सकता है. इसको केवल पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सुरक्षा कारणों से ही राज्य या केंद्र सरकार कर सकती है.
फोन टैपिंग का आदेश गृह मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव द्वारा जारी किया जा सकता है जबकि राज्य में मामले में गृह विभाग के प्रभारी राज्य सरकार के सचिव द्वारा. इमरजेंसी की स्थिति में इसे केंद्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत अधिकारी जो भारत के संयुक्त सचिव के पद से नीचे का न हो जारी कर सकता है.
ऑपरेशनल कारणों से या रिमोट एरिया में अगर कॉल पर बातचीत नहीं हो पा रही है तो इसके लिए दूसरे प्रावधान है. गैर-कानूनी तरीके से फ़ोन टैपिंग निजता के अधिकार का उल्लंघन है और पीड़ित व्यक्ति मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है.
स्पाईवेयर से फोन टैपिंग
कई केस में देखा गया है की जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए फोन को टैप किया जाता है. इससे य़ूजर की सारी एक्टिविटी पता चलती रहती है. ऐसा करना कानूनन गलत है. हाल ही में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर काफी ज्यादा चर्चा में रहा था.
पेगासस पर भी लोगों की जासूसी का आरोप लगा था. इसके जरिए लोगों के फोन कॉल्स, लोकेशन, चैट्स, गैलरी का एक्सेस हासिल किया जा सकता है. इसके अलावा दूसरे भी कई सॉफ्टवेयर को ब्लैक मार्केट में बेचा जा रहा है जिससे फोन टैपिंग की जा सकती है.