साइबर सिक्योरिटी एजेंसी CERT-In ने Facebook यूजर्स से उनके अकाउंट प्राइवेसी सेटिंग को बढ़ाने को कहा है. अभी हाल में Facebook से बड़ा डेटा ब्रीच हुआ था. इसमें 61 लाख भारतीयों के भी Facebook अकाउंट शामिल थे.
Indian Computer Emergency Response Team या CERT-In ने कहा है कि यूजर्स का डेटा कई तरह से कलेक्ट करके शेयर किया जा सकता है. इसमें ऐसे तरीके भी शामिल हैं जिसका पता नहीं है. CERT-In एक सिक्योरिटी एजेंसी है. इसका काम साइबर अटैक से बचाना और भारतीय साइबर स्पेस की सुरक्षा करना है.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कुछ दिनों पहले काफी बड़ी संख्या में Facebook प्रोफाइल की जानकारी लीक की गई थी. इसमें ईमेल, प्रोफाइल, पूरा नाम, जॉब, फोन नंबर जैसी जानकारियां शामिल हैं. फेसबुक के अनुसार इस डेटा लीक में फाइनेंशियल, हेल्थ और पासवर्ड की जानकारी शामिल नहीं है.
CERT-In ने कहा कि Facebook ने दावा किया है ये डेटा स्क्रेपिंग प्लेटफॉर्म पर मौजूद contact importer फीचर की वजह से हुआ. इससे यूजर्स दूसरे यूजर्स को उनके फोन नंबर की वजह से खोज पाते हैं. इस फीचर को 2019 में चेंज कर दिया गया था.
डेटा स्क्रेपिंग की मदद से हैकर्स किसी साइट पर उपलब्ध यूजर्स के डेटा को ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर से हासिल कर लेते हैं. इसमें उनका नाम, जगह जैसे डिटेल्स शामिल होते हैं. साइबर क्रिमिनल्स कई कारणों के लिए डेटा स्क्रेपिंग करते हैं. वो इस डेटा को कॉल सेंटर या किसी कंपनी को भी बेच देते हैं.
CERT-In ने कहा कि यूजर्स को अपने अकाउंट की सिक्योरिटी बढ़ाने की जरूरत है. वो अपनी प्राइवेसी को काफी मजबूत करें. अपने अकाउंट में 2-फैक्टर authentication या 2FA जरूर सेट करें. अपने अकाउंट को पब्लिक रखने की जगह फ्रेंड्स या प्राइवेट रखें. हैकर्स पब्लिक अकाउंट को आसानी से टारगेट कर सकते हैं. फिलहाल डेटा ब्रीच की जांच CBI कर रही है. CBI पता लगाने की कोशिश कर रही है कि भारतीय यूजर्स के डेटा का यूज चुनाव को मैनिपुलेट करने के लिए तो नहीं किया गया.