भारत के नए डिजिटल रूल को लेकर अभी कई कंपनियों ने अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है. हालांकि कुछ कंपनियों ने कहा है कि वो डिजिटल रूल को मानेंगे और सरकार जो कहेगी उसका पालन करेंगे. लेकिन WhatsApp को लेकर अभी भी कन्फ्यूजन बरकरार है.
बहरहाल, गूगल और अल्फाबेट सीईओ सुंदर पिचाई ने भारत के नए डिजिलट रूल पर कुछ कहा है. सुंदर पिचाई ने कहा है कि कंपनी लेजिस्लेटिव प्रोसेस पर यकीन रखती है और जहां जरूरत होती है वहां पुश बैक भी करती है.
गूगल लोकल कानूनों के तहत काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और सरकार के साथ नए रेग्यूलेटर फ्रेमवर्क के अनुपालन के लिए सरकार के साथ मिल कर काम करेगा. हालांकि इस नियम से सबसे ज्यादा असर WhatsApp यूजर्स की प्राइवेसी पर पड़ रहा है. गूगल के साथ ये समस्या नहीं है, क्योंकि गूगल का मैसेंजर प्लैटफॉर्म नहीं है और उसे मैसेज ट्रेस करने के लिए भी नहीं कहा जा रहा है.
सुंदर पिचाई ने कहा है, 'हम हमेशा हर देश के लोकल कानून की इज्जत करते हैं और हमारे पास क्लियर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट्स हैं, हम सरकार के रिक्वेस्ट को मानते हैं जब जरूरत पड़ती है'. गौरतलब है कि गूगल के अलावा फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां भी इस नियम का पालन करेंगी. WhatsApp भी फेसबुक का है, लेकिन यहां एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को लेकर पेंच है.
सुंदर पिचाई ने ये भी कहा है कि फ्री और ओपन इंटरनेट फाउंडेंशनल है और भारत में ये पुराना ट्रेडिशन है. उनका कहना है कि कंपनी के तौर पर वो इस बात को लेकर काफी क्लियर हैं कि फ्री और ओपन इंटरनेट का वैल्यू किया जाना चाहिए.
कुल मिला कर सुंदर पिचाई ने ये साफ कर दिया है कि भारत के डिजिटल कानून का पालन किया जाएगा. कंपनी ने कहा है कि दूसरे देशों में भी कंपनी वहां के लोकल कानून के हिसाब से काम करती है.
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