सरकार और Twitter अब आमने-सामने आ गए हैं. पहले Twitter ने सरकार को नए डिजिटल नियम और अपने ऑफिस में पुलिस जाने पर सरकार को घेरा. अब सरकार प्रेस रिलीज जारी करके Twitter के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और भारत को बदनाम करने की साजिश बता रही है.
सरकार ने मिनिस्ट्री के हैंडल से कू ऐप पर प्रेस रिलीज जारी किया है. कहा गया है, Twitter का ये बयान दुनिया के सबसे सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है. Twitter उन नियमों को मानने से इनकार कर रहा है जिनके आधार पर उसे आपराधिक दायित्व से प्रोटेक्शन मिलता है. भारत में बोलने की आजादी और लोकतांत्रिक प्रथाओं की सदियों पुरानी एक गौरवशाली परंपरा रही है.
भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल Twitter जैसी निजी, लाभकारी, विदेशी संस्था का विशेषाधिकार नहीं है. सरकार ने कहा Twitter फ्री स्पीच पर बोलता है लेकिन इसको लेकर इसके ही उदाहरण से समझा जा सकता है.
सरकार ने कहा है कि Twitter फेक और गलत कंटेंट शेयर किए जाते हैं जो भारत के खिलाफ होते हैं. ट्विटर से ये सवाल किया गया है कि कंपनी इस पर एक्शन क्यों नहीं लेती है.
ट्विटर के बारे में अपने स्टेटमेंट में सरकार ने लद्दाख का भी जिक्र किया है. कहा गया है कि भारत चीन बॉर्डर विवाद के दौरान ट्विटर ने लद्दाख को चीन का हिस्सा दिखा दिया था. ये भी कहा गया है कि इसे हटाने के लिए ट्विटर ने काफी समय लिया था.
इसकी आपरदर्शी नीतियां की वजह से लोगों के अकाउंट्स बैन कर दिए जाते हैं. बिना किसी कारण के मनमाने ढंग से ट्वीट हटा दिया जाता है. नीति और कानून बनाना संप्रभु का एकमात्र विशेषाधिकार है और Twitter सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है. इसे भारत में किस तरह के नियम और कानून की रूपरेखा होनी चाहिए इसको ट्विटर तय नहीं कर सकता है.
Twitter ने दावा किया है वो भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध है. विडंबना यह है कि हाल के दिनों में प्लेटफॉर्म की ये प्रतिबद्धता नहीं दिखी है. इसको लेकर प्रेस रिलीज में उदाहरण भी दिए गए हैं.