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टेक न्यूज़

Covid-19 रिलेटेड SOS कॉल्स की रीच बढ़ाने कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ले रहे पैसे

Social media influencers
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कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को हिला कर रख दिया है. बीते दिनों के आंकड़े थोड़ी राहत देने वाले हैं. लेकिन फिर भी मौतों का सिलसिला जारी है. सरकारें इस मुश्किल घड़ी में लोगों की पूरी तरह मदद कर पाने में नाकाम रही हैं. ऐसे में लोग ऑक्सीजन-इंजेक्शन और प्लाज्मा जैसी जरूरतों के लिए सोशल मीडिया का रूख कर रहे हैं. लोगों को मदद मिल भी रही है. इस बीच ऐसी जानकारी मिली है कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ऐसी स्थिति में भी पैसे कमा रहे हैं.

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हालांकि, इन्फ्लुएंसर्स के पैसा कमाने का तरीका Covid SOS रिक्वेस्ट को डायरेक्ट रीपोस्ट या रीट्वीट करना नहीं है. मीडियानामा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इंडियन इन्फ्लुएंसर नेटवर्क (IIN) से जुड़े इन्फ्लुएंसर्स इन रिक्वेस्ट को शेयर कर पैसै कमा रहे हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक, IIN लोगों को प्लाज्मा डोनर्स को खोजने में मदद करने के लिए एक कैंपेन के लिए स्टार्टअप और ब्रैंड्स के साथ साझेदारी कर रहा है. इस कैंपेन के तहत पार्टनर्स को अपनी वेबसाइट पर IIN द्वारा डेवलप किए गए प्लाज्मा पोर्टल को इंटीग्रेट करना होगा.

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इसके बाद IIN से जुड़े इन्फ्लुएंसर्स इस पोर्टल को प्रमोट करेंगे. साथ ही इसके जरिए मिलने वाले SOS रिक्वेस्ट्स को भी. इस कैंपेन का हिस्सा बनने के लिए IIN द्वारा ब्रैंड और स्टार्टअप से फीस ली जाती है. इस फीस का इस्तेमाल फिर उन इन्फ्लुएंसर्स और NGO को देने के लिए किया जाता है, जिनके साथ IIN ने इस ऑपरेशन के लिए टाइअप किया हो.

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यहीं पर आकर नैतिक दुविधा सामने आ रही है. क्योंकि, ज्यादातर इन्फ्लुएंसर्स मुफ्त में इसका हिस्सा हैं. वहीं, कुछ पहले की ही तरह चार्ज कर रहे हैं. IIN के एक प्रवक्ता के मुताबिक, कैंपेन से आया ज्यादातर पैसा NGO और इन्फ्लुएंसर्स को पेमेंट देने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रोग्राम से जुड़े ज्यादातर इन्फ्लुएंसर्स ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद उनके फॉलोअर्स के आधार पर पैसा लेते हैं.

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प्रवक्ता ने आगे कहा कि हम इसे अनैतिक नहीं मानते क्योंकि कुछ इन्फ्लुएंसर्स के लिए महामारी के समय यही एकमात्र इनकम का जरिया है. महामारी के बीच इन इन्फ्लुएंसर्स के बाकी काम प्रभावित हुए हैं.

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इस बीच कुछ लोगों का ये कहना है कि ये अनैतिक है. क्योंकि, जो लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं वो अपनों की जिंदगी बचाने वाली चीजों के लिए ऐसा कर रहे हैं. यहां प्रॉफिट किसी रेगुलर ब्रैंड या बिजनेस के प्रमोशन से नहीं आ रहा है. एक पक्ष ये भी है कि अगर ये प्रमोशन इन्फ्लुएंसर्स द्वारा मुफ्त में किया जाता. तो ज्यादा लोगों की मदद हो पाती, बजट भी कम हो जाता और ज्यादा इन्फ्लुएंसर्स इसका हिस्सा हो पाते.

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