वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म Zoom एक केस में 85 मिलियन डॉलर (लगभग 6,30,61,07,500 रुपये) का हर्जाना देने के लिए तैयार हो गया है. इस केस में Zoom पर यूजर्स के डेटा को फेसबुक, गूगल और लिंक्डइन के साथ शेयर करने का दोषी ठहराया गया है.
हर्जाने की राशि के अलावा कंपनी को अपनी सिक्योरिटी भी बढ़ानी होगी ताकि भविष्य में इसके वीडियो कॉल को कभी हैक ना किया जा सकें. नया समझौता इस साल मई में फर्म के खिलाफ दायर एक संशोधित क्लास-एक्शन शिकायत के जवाब में आया है. शिकायत में आरोप लगाया गया कि Zoom अपने यूजर्स को एंड-टू-एंड (E2E) एन्क्रिप्शन देने का झूठा वादा किया था.
इस बात को सबसे पहले मार्च 2020 में The Intercept की रिपोर्ट से सामने लाया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वो नहीं है जो इंडस्ट्री में चलता है. इसमें कहा गया एन्क्रिप्शन की सभी Zoom मीटिंग के लिए Zoom के अपने सर्वर पर भी जेनरेट किया जाता है. ये सर्वर चीन में स्थित है.
जबकि रियल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वैसे की है जो यूजर्स के डिवाइस से जेनरेट होते हैं और इसका एक्सेस सिर्फ यूजर्स के पास ही होता है. इस वजह से मुकदमे में इस बात को कहा गया Zoom अपने यूजर्स को गलत जानकारी देता है कि वीडियो कॉल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं.
इसको लेकर Zoom ने पिछले साल अगस्त में माफी मांगी थी और ट्रू E2E एन्क्रिप्शन Zoom कॉल के लिए लाया था. नया सेटलमेंट फिलहाल प्रारंभिक स्टेज में है. इसे यूएस के San Jose, California के डिस्ट्रिक्ट जज Lucy Koh का अप्रूवल मिलना बाकी है.
Zoom सब्सक्राइबर्स अपने कोर सब्सक्रिप्शन पर 15 परसेंट या 25 डॉलर (जो बड़ा हो) ले सकते हैं. जो यूजर्स पेड सब्सक्राइबर नहीं थे लेकिन इससे अफैक्ट हुए हैं वो 15 डॉलर का क्लैम कर सकते हैं. E2E के अलावा Zoom पर Zoombombings ना रोक पाने का आरोप है.