5G स्पेक्ट्रम नीलमी में अडानी ग्रुप की एंट्री का अंदाजा किसी को नहीं था. अडानी की कंपनी Adani Data Networks ने इस ऑक्शन में हिस्सा लिया है. अडानी की एंट्री के बाद से लोगों में एक नए प्लेयर की चर्चा शुरू हो गई. कयास लगाए जाने लगे कि Airtel और Jio को टक्कर देने एक और नई कंपनी आ सकती है.
हालांकि, कयास का दौर बहुत लंबा नहीं चल सका. अडानी डेटा नेटवर्क्स ने साफ कर लिया कि वह स्पेक्ट्रम की बदौलत एक प्राइवेट नेटवर्क तैयार करेंगे.
यह नेवटर्क एयरपोर्ट से लेकर पावर तक के उनके बिजनेस को सपोर्ट करेगा. इसके साथ ही डेटा सेंटर को भी स्पेक्ट्रम की मदद मिलेगी. मगर अडानी का प्लान सिर्फ इतना ही है.
क्या अडानी डेटा नेटवर्क्स के लिए जियो और एयरटेल को टक्कर दे पाना आसान होगा? वैसे तो इन कंपनियों का सीधा मुकाबला नहीं हो रहा है. मगर क्या हो अगर अडानी ग्रुप को टेलीकॉम बिजनेस में सीधे तौर पर जियो और एयरटेल का सामना करना पड़े.
साल 2016 में जब जियो की एंट्री हुई थी, तो उनके प्लान्स का किसी को अंदाजा तक नहीं था. जियो ने अपने एंट्री के साथ ही यूजर्स को फ्री में अपना नेटवर्क एक्सपीरियंस करने का मौका दिया.
एक बार 4G स्पीड का चस्का लगने के बाद लोगों ने जियो को टेलीकॉम इंडस्ट्री का बादशाह बना दिया. मगर अडानी के लिए ये सब कर पाना शायद उतना आसान नहीं होगा.
जियो जब इंडस्ट्री में आया था, तो ज्यादातर प्लान्स कॉलिंग पर बेस्ड थे. कंपनी ने डेटा बेस्ड प्लान लॉन्च किए और कॉलिंग को एक तरह से फ्री कर दिया. या फिर डेटा प्लान्स के साथ कॉम्प्लिमेंट्री कर दिया.
अगर अडानी ग्रुप इस बिजनेस में आता है, तो उसे जियो से कुछ अलग करना होगा. जियो ही नहीं अब जियो, एयरटेल और Vi तीनों के प्लान्स लगभग एक जैसे हैं. हालांकि, अडानी ग्रुप इस बिजनेस में इंटरप्राइजेज सेगमेंट में एंट्री कर रहा है.
उनका फोकस कंज्यूमर सेगमेंट पर नहीं है. ऐसे में गेम अलग ही दिशा में चला जाता है. जहां अडानी ने इस ऑक्शन के लिए सिर्फ एक अरब रुपये जमा किए हैं. वहीं जियो ने 140 अरब रुपये जमा किए हैं. दोनों के बीच का अंतर भी काफी ज्यादा है.