भारत ने अपनी पहली 5G वॉयस कॉल और वीडियो कॉल कर ली है. यानी 5G नेटवर्क की लॉन्चिंग अब ज्यादा दूर नहीं है. सवाल आता है कि ज्यादा नहीं तो फिर कितनी दूर है. 5G नेटवर्क लॉन्च से पहले सरकार को इसके स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी है.
स्पेक्ट्रम की नीलामी और 5G की कीमतें तय होने के बाद ही इसका कॉमर्शियल रोलआउट हो पाएगा. ऐसा लगता है कि 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी अब दूर नहीं है. रिपोर्ट्स की मानें तो जून महीने की शुरुआत में दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम नीलामी की तारीखों का ऐलान कर सकता है.
चूंकि, मई खत्म होने को है, इसलिए 5G ज्यादा दूर नहीं लग रही है. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार विभाग ने 5G स्पेक्ट्रम ऑक्शन पर कैबिनेट नोट जारी कर दिया है. केंद्रीय कैबिनेट अगली मीटिंग में इस पर फैसला ले सकती है.
TRAI ने ऑक्शन के लिए एयरवेव की वैल्यू 7.5 लाख करोड़ रुपये रखी है. रिपोर्ट की मानें तो दूरसंचार विभाग ऑक्शन की प्रक्रिया को अगले दो महीने में पूरा कर लेना चाहता है. इसकी मदद से मोदी सरकार 15 अगस्त 2022 को 5G के कॉमर्शियल रोलआउट को लेकर बड़ी घोषणा कर पाएगी.
यानी 5G नेटवर्क का रोलआउट अब ज्यादा दूर नहीं है. लेकिन इसकी मुश्किलें अभी कम नहीं हैं. क्योंकि टेलीकॉम इंडस्ट्री स्पेक्ट्रम प्राइस से खुश नहीं है. COAI (Cellular Operators Association of India) ने भी TRAI के सुझाव पर अपनी नाखुशी जाहिर की है. इस पर आखिरी निर्णय केंद्रीय कैबिनेट को लेना है.
अब देखना होगा कि क्या टेलीकॉम इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सरकार कोई फैसला लेती है. हालांकि, इसकी उम्मीद बहुत कम है कि सरकार ट्राई के सुझाव के विपरीत जाकर कोई फैसला लेगी.
इंडस्ट्री को उम्मीद है कि 5G स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर सरकार कोई बड़ा फैसला करेगी, जो उनके लिए फायदेमंद हो. ट्राई ने 20 साल और 30 साल दोनों के सुझाव दिए हैं. सुझाव के मुताबिक, 30 साल के लिए दिए जाने वाले स्पेक्ट्रम की कीमत 20 साल के लिए बेचने जाने वाले स्पेक्ट्रम की कीमत की 1.5 गुना होनी चाहिए.