5G spectrum की नीलामी भारत में दूसरे दिन यानी बुधवार को संपन्न हुई. सरकारी जानकारी के मुताबिक, इस नीलामी के तहत सरकार को करीब 11,300 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ है. यह 96 हजार करोड़ रुपये का करीब 12 प्रतिशत है. इससे पहले साल 2022 के दौरान नीलामी करीब 7 दिनों तक चली थी और इस दौरान सरकार को 1.5 ट्रिलियन रुपये का कलेक्शन हुआ था.
दो दिन तक 7 राउंड में यह नीलामी चली. सरकार ने इस नीलामी में 96,317 रुपये की बेस प्राइस पर 10,522 मेगाहर्टज के कुल स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रखे थे. नीलामी में सरकार की कुल 131 Mhz स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई गई, जिसकी वैलिडिटी करीब 20 साल की होगी.
स्पेक्ट्रम की इस नीलामी में देश की तीन बड़ी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (Vi) ने हिस्सा लिया था. संचार भवन स्थित DoT के वार रूम में यह नीलामी में हुई.
स्पेक्ट्रम की इस नीलामी में सबसे आगे भारती एयरटेल रही. कंपनी ने 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज और 2100 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 97 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम 6,857 करोड़ रुपए में हासिल किए.
कंपनी ने अलग-अलग सर्किल में 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम नवीनीकरण की जरूरत के कारण सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में सामने आई है. कंपनी ने बताया कि अब उनके पास देश में सबसे बड़ा मिड बैंड स्पेक्ट्रम पूल होगा.
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रिलायंस जियो ने 973.62 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम खरीदे हैं. इसमें जियो ने एडिशनल 1800 MHz band बिहार और पश्चिम बंगाल के सर्कल के खरीदे हैं. Vi ने 3,510 करोड़ रुपये के बोली लगाई है.
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स्पेक्ट्रम असल में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी होती हैं, जिसका इस्तेमाल कम्युनिकेशन की अलग-अलग सर्विस में इस्तेमाल किया जाता है. कंपनियां अपने कस्टमर को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए इसे खरीदती है और इस्तेमाल करती है.