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Airtel-Jio-Starlink डील: इंटरनेट यूजर्स को फायदा या नुकसान? अमेरिका में इतने हजार का रिचार्ज

Airtel के बाद अब Jio ने भी Elon Musk के SpaceX के साथ डील कर ली है. इस डील के बाद भारत में Starlink सर्विस को लाया जाएगा, हालांकि अभी भारतीय अथॉरिटीज से अप्रूवल लेना बाकी है. सभी अप्रूवल मिलने के बाद ही भारत में Starlink की सर्विस शुरू हो सकेंगी. Starlink, एक सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

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Courtesy: Reuters
Courtesy: Reuters

Airtel और Reliance Jio ने Starlink के साथ डील का ऐलान कर दिया है, जो एक सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है. Airtel ने जहां मंगलवार को बताया कि Elon Musk की कंपनी SpaceX के साथ पार्टनरशिप कर ली है, जो Starlink के लिए है. वहीं बुधवार सुबह Reliance Jio ने भी Starlink के साथ की गई डील की जानकारी दी. हालांकि अभी SpaceX को भारतीय अथॉरिटीज से लाइसेंस लेना बाकी है.

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सभी अप्रूवल मिलने के बाद ही भारत में SpaceX की सर्विस शुरू हो सकेंगी. यहां आज आपको बताने जा रहे हैं कि Starlink क्या है, कैसे काम करता है और भारत में इसको कैसे फायदा मिलेगा. साथ ही अमेरिका में इसके इंस्टॉलेशन का क्या खर्चा है. ये सर्विस ब्रॉडबैंड की तरह ही काम करेगी, जिससे आप अपने फोन या लैपटॉप को कनेक्ट कर सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ हार्डवेयर की जरूरत होती है, जो जियो और एयरटेल के स्टोर पर उपलब्ध होंगे. 

भारती एंटरप्राइसेस के फाउंडर और चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा कि टेलीकॉम और सेटेलाइट इंडस्ट्री के प्लेयर्स को मिलकर काम करना चाहिए. इससे दोनों अपनी पावर को मिलाकर उस मिशन को पूरा कर सकते  हैं, जिसमें उन लोगों तक पहुंचना शामिल है, जिनके पास अभी तक इंटरनेट जैसी सर्विस नहीं पहुंच पाईं. ये बात उन्होंने स्पेन के बार्सिलोना में आयोजित मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2025 के दौरान कह चुके हैं. अब उन्होंने सेटेलाइट कंपनी और टेलीकॉम कंपनियों के बीच पार्टनरशिप पर खुशी जाहिर की है. 

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उन्होंने आगे बताया, 'टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए सेटेलाइट टेक्नोलॉजी का जुड़ना किसी नई टेक्नोलॉजी को साथ लाने जैसा ही है. जैसे कंज्यूमर्स को 4G, 5G और फ्यूचर में 6G सर्विस मिलेगी. उसी तरह से SAT-G टेक्नोलॉजी हमारे पास होगी.'

Starlink क्या है ? 

Starlink, एक सेटेलाइट बेस्ड हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है, जिसे खुद Elon Musk की कंपनी SpaceX ने डेवलप किया है. इसके लिए मोबाइल टावर लगाने की जरूरत नहीं होती है. Starlink दुनिया भर में हाई-स्पीड इंटरनेट प्रोवाइड कराना चाहती है, खासकर उन इलाकों में जहां वायर ब्रॉडबैंड उपलब्ध नहीं है. 

यह भी पढ़ें: Airtel के बाद अब Reliance Jio ने की Starlink के साथ डील, सेटेलाइट से मिलेगा इंटरनेट

भारतीय यूजर्स को कैसे मिलेगा फायदा? 

अब यहां सवाल आता है कि Starlink से भारतीय कस्टमर को क्या फायदा होगा? Starlink के काम करने के तरीके को देखें तो ये भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर कर सकता है. इसका फायदा रूरल और रिमोट एरियों में देखने में मिलेगा.

भारत में अभी भी बहुत से गांव और पहाड़ी इलाके हैं, जहां फाइबर इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है, ऐसे में Starlink से उनको फायदा हो सकता है. रिमोट एरियों में मौजूद  स्कूल और अस्पतालों को इससे काफी फायदा देखने को मिलेगा. यह 20-40 ms की लो-लेटेंसी प्रोवाइड कराता है, जिसका फायदा गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और ऑनलाइन एजुकेशन को होगा. 

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ऐसे काम करता है Starlink 

Starlink के लिए हजारों लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सेटेलाइट होते हैं, जो धरती से लगभग 550 किमी ऊपर होते हैं. ये सेटेलाइट लेजर लिंक की मदद से एक दूसरे से कनेक्ट होते हैं और डेटा को तेजी से ट्रांसमिट करते हैं. 

प्राकृतिक आपदाओं में मिलेगा फायदा 

भारत में कई इलाके ऐसे हैं, जहां अक्सर प्राकृतिक आपदा की वजह से काफी परेशानी हो जाती हैं. ये आपदाएं बाढ़, भूकंप, या चक्रवात जैसी रूप में आती हैं, ऐसे इलाकों में अक्सर इंटरनेट कनेक्टिविटी टूट जाती है. ऐसे में Elon Musk का सेटेलाइट बेस्ड Starlink काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. 

यह भी पढ़ें: भारत आ रहा है Elon Musk का Starlink इंटरनेट, SpaceX ने Airtel के साथ मिलाया हाथ

कितना महंगा है Starlink?

अमेरिका में Starlink के लिए सेटअप और मंथली सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है. अभी भारतीय प्लान और हार्डवेयर की कीमत का ऐलान नहीं किया है, लेकिन अमेरिका में बुकिंग करने के बाद हार्डवेयर के लिए 499 अमेरिकी डॉलर का चार्ज देना होता है, जिसे भारतीय करेंसी में कंवर्ट करेंगे तो यह 43 हजार रुपये है. वहीं मंथली सब्सक्रिप्शन 110 अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय करेंसी में करीब 9 हजार रुपये होगी

मौसम भी बन जाता है मुसीबत 

जहां कई लोग बताते हैं कि प्राकृतिक आपदा के दौरान ये वरदान साबित हो सकता, उन लोगों के लिए बता दें कि भारी बारिश, बर्भबारी की वजह से सिग्नल प्रभावित हो सकते हैं. इसकी वजह से कनेक्टिविटी की समस्या आ सकती है. एक ही लोकेशन पर बहुत ज्यादा यूजर्स होने पर इंटरनेट स्पीड भी स्लो हो सकता है. 

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डिश और राउटर की पड़ती है जरूरत 

Starlink की सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए एक छोटी डिश लगानी होती है, जिसे Starlink टर्मिनल भी कहते हैं. इसको कस्टमर को घर पर सेटअप कराना पड़ता है. यह डिश आसमान में मौजूद सेटेलाइट से सिग्नल रिसीव करता है और सेंड करता है. इसके बाद यह डिश WiFi राउटर से कनेक्ट होती है, जो घर के अंदर लगा होता है, उस राउटर से इंटरनेट का एक्सेस मिलता है. 

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