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iPhone 17 Pro और 17 Pro max को मिलेगा बेहतर कूलिंग चैंबर? जानिए कूलिंग सिस्टम कैसे काम करता है

Apple iPhone 17 Pro और iPhone 17 Pro को लेकर एक नया लीक्स सामने आया है. इससे पता चला है इन अपकमिंग iPhones के अंदर अपग्रेडेड लिक्विड कूलिंग सिस्टम मिलेगा, जिसकी मदद से हैंडसेट को बेहतर कूलिंग कंट्रोल मिलेगा. आइए आपको बताते हैं कि मोबाइल के अंदर कूलिंग सिस्टम कैसे काम करता है?

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iPhone 17 में दिखेंगे कई अपग्रेड्स. (Photo credit: Apple Hub)
iPhone 17 में दिखेंगे कई अपग्रेड्स. (Photo credit: Apple Hub)

Apple iPhone 17 सीरीज इस साल लॉन्च होगी. ऑफिशियल लॉन्चिंग से पहले इस सीरीज के कई लीक्स और रेंडर्स आदि सामने आ चुके हैं. कई रिपोर्ट्स में इस अपकमिंग सीरीज के स्पेसिफिकेशन्स तक का खुलासा किया है, लेटेस्ट जानकारी में बताया है कि कंपनी इस बार बेहतर कूलिंग सिस्टम प्रोवाइड कराएगी. 

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मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया है कि iPhone 17 Pro और 17 Pro Max को Liquid Cooling  मिलेगा, जो पहले मुकाबला ज्यादा बेहतर थर्मल कूलिंग मैनेजमेंट की सुविधा देगा. 

मौजूदा iPhone 16 Pro और 16 Pro Max के साथ कंपनी ने हीट मैनेजमेंट और हैंडसेट को गर्म होने से बचाने के लिए ग्राफीन शीट्स का इस्तेमाल किया है. बताते चलें कि प्रो सीरीज में हीटिंग कंट्रोल सिस्टम मिलता है. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा है कि इस साल iPhone 17 सीरीज के सभी हैंडसेट में कूलिंग सिस्टम मिलेगा. 

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फोन में लिक्विड कूलिंग कैसे काम करती है?

iPhone या अन्य किसी स्मार्टफोन के अंदर हार्डवेयर होता है, जिसके ज्यादा यूज होने वह हीट जनरेट करने लगता है. इस हीट को अगर कंट्रोल ना किया जाए तो सिस्टम स्लो हो सकता है और बैटरी भी जल्दी खत्म हो सकती है. ऐसे में कंपनियां हीट-डिसिपेटिंग सिस्टम को लगाती है. 

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ये हीट डिसिपेटिंग सिस्टम गेमिंग या वीडियो एडिटिंग जैसी हाई-परफॉर्मेंस एक्टिविटी के दौरान जनरेट होने वाली हीट को कंट्रोल करता है. स्मार्टफोन का कूलिंग सिस्टम पारंपरिक पानी कूलिंग (जैसे पीसी में) की तरह नहीं होता, बल्कि एक पैसिव कूलिंग टेक्नोलॉजी होती है, जो हीट पाइप या वेपर चेंबर का यूज करता है. 

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ऐसे करती है काम?

स्मार्टफोन के अंदर एक पतली कॉपर हीट पाइप या वेपर चेंबर होता है, जिसमें बहुत कम मात्रा में लिक्विड (पानी या कोई खास कूलिंग लिक्विड) भरा होता है. 

जब फोन गर्म होता है, तो यह लिक्विड हीट को अब्जॉर्ब करके गैस में बदल देता है. इसके बाद ये गर्म गैस फोन के ठंडे हिस्से की ओर मूव करती है. इसके बाद वहां गर्मी छोड़ती हैं और फिर से लिक्विड में कंवर्ट होकर वापस अपना काम करने चली जाती हैं. 

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