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Apple vs FB: Apple ने अपनी प्राइवेसी फीचर का किया बचाव, कहा- हम यूजर्स के साथ

Facebook ने ऐपल की आने वाली ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी फ़ीचर को फ़ुल पेज ऐड दे कर छोटे बिज़नेस के ख़िलाफ़ बताया है. अब ऐपल ने कहा कि ये फ़ीचर्स यूज़र्स के हित के लिए अच्छा है.

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Photo for reperesentation
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • Apple ने अपने प्राइवेसी फ़ीचर का बचाव करते हुए कहा, हम यूज़र्स के साथ हैं.
  • FB ने iOS 14 में दिए गए ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी फ़ीचर्स को फ़ुल पेज ऐंड में बताया था बिज़नेस के ख़िलाफ़

Facebook ने कुछ पॉपुलर अमेरिकी अख़बारों में एक फ़ुल पेज विज्ञापन दिया था. इसमें कहा गया कि ऐपल द्वारा iOS में दिया जाने वाला नया फ़ीचर छोटे बिज़नेस के ख़िलाफ़ है और इससे उनका बड़ा नुक़सान होगा. इस मसले पर ऐपल का स्टेटमेंट आ गया है.

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पहले ये जान लेते हैं कि ऐपल ने क्या कहा. इसके बाद आपको ये भी बताएँगे की पूरा मामला क्या है और क्यों ऐपल के इस प्राइवेसी फ़ीचर से फ़ेसबुक को तकलीफ़ हो रही है.

ऐपल ने अपने स्टेटमेंट में कहा है, ‘हमें लगता कि ये यूज़र्स के हित के लिए खड़े होने का सिंपल मामला है. यूज़र्स को ये पता होना चाहिए कि कब उनका डेटा कलेक्ट किया जा रहा है और ऐप्स और वेबसाइट पर शेयर किया जा रहा है. यूज़र्स को ये च्वाइस मिलना चाहिए कि वो इसे इजाज़त दें या न दें.’

अमेरिकी कंपनी ऐपल ने ये भी कहा है कि iOS 14 में दिया जाने वाला ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी फ़ीचर की वजह से फ़ेसबुक को यूज़र्स ट्रैक करने और टार्गेटेड विज्ञापन बनाने में कोई बदलाव करने की ज़रूरत नहीं होगी, यहां सिर्फ़ ये ज़रूरत है कि वो यूज़र्स को च्वाइस दें.

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ग़ौरतलब है कि ऐपल के इस प्राइवेसी फ़ोकस्ड फ़ीचर के आ जाने के बाद टार्गेटेड ऐड्स में फ़ेसबुक को दिक़्क़तें आने की उम्मीद है. क्योंकि अब पर्सनलाइज्ड ऐड्स के लिए यूज़र्स से इजाज़त लेनी होगी और जो यूज़र्स प्राइवेसी को पसंद करते हैं वो इजाज़त नहीं देंगे और ऐसे में फ़ेसबुक की कमाई भी कम हो सकती है.

ये फ़ीचर फ़िलहाल शुरू नहीं किया गया है, लेकिन अगले साल की शुरुआत से ये लोगों के पास आ सकता है. इसे एक बार पहले भी टाला गया था. लेकिन अब ऐपल क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा.

पर्सनलाइज्ड ऐड्स की बात करें तो आप हर दिन इसका सामना करते होंगे. उदाहरण के तौर पर आप कहीं शॉपिंग करने जाते हैं और फिर फ़ेसबुक पर उस जैसे ही प्रोडक्ट्स आपको दिखने लगते हैं. ये टार्गेटेड ऐड का बड़ा उदाहरण है.

आपको बता दें कि फ़ेसबुक ने यहाँ अपना हित साधने के लिए छोटे बिज़नेस को नुक़सान होने का हवाला भी दिया है. फ़ेसबुक ने कहा है कि ऐपल के इस कदम से छोटे बिज़नेस को बड़ा नुकसाल होगा. यहाँ तक कहा गया है कि 60% तक का नुक़सान हो सकता है.

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फ़ेसबुक ने अपने फ़ुल पेज ऐड में ये भी कहा था कि इस महामारी के दौरान टार्गेटेड ऐड्स की वजह से मीडियम और छोटे बिज़नेस को बड़ा फ़ायदा मिला है और ऐपल की इस पॉलिसी से उन्हें अब नुक़सान होगा.

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आपको बता दें कि फ़ेसबुक विज्ञापन मॉडल पर ही काम करता है और कंपनी की ज़्यादातर कमाई ऐड से ही आती है. ऐसे में ज़ाहिर है ऐपल के इस कदम से फ़ेसबुक का भी नुक़सान होगा.

हाल ही में फ़ेसबुक और ऐपल के बीच ऐप स्टोर में नए ऐप स्टोर प्राइवेसी लेबल को लेकर भी ठन गई थी. यहाँ WhatsApp की तरफ़ से कहा गया कि ऐपल का ये फ़ीचर अनफेयर है. आप इसके बारे में ये विस्तार से यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

 

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