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Apple के खिलाफ अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, जस्टिस डिपार्टमेंट ने किया केस, जानिए क्या है वजह

Apple Antitrust Case: ऐपल के खिलाफ अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और कई राज्यों ने कार्रवाई की है. कंपनी के खिलाफ एंटीट्रस्ट लॉसूट फाइल हुआ है. ऐपल पर आरोप लगा है कि वो स्मार्टफोन मार्केट में अपनी मोनोपोली बनाए रखने के लिए कंपटीशन को दबाता है. इसके लिए कंपनी कई तरीकों का इस्तेमाल करती है. आइए जानते हैं मामले की पूरी डिटेल्स.

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Apple के खिलाफ अमेरिका हुआ सख्त
Apple के खिलाफ अमेरिका हुआ सख्त

अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और कई सारे राज्यों ने मिलकर एक एंटी-ट्रस्ट लॉसूट फाइल किया है. ये लॉसूट ऐपल के खिलाफ है. कंपनी पर अवैध तरीकों से स्मार्टफोन मार्केट में मोनोपोली क्रिएट करने का आरोप है. गूगल, ऐपल और मेटा जैसी कंपनियों पर अक्सर एंटीट्रस्ट के मामले दर्ज होते रहते हैं. 

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इन सभी कंपनियों पर अपने सेक्टर में मोनोपोली क्रिएट करने और दूसरी छोटी कंपनियों को खत्म करने का आरोप लगता रहा है. हाल फिलहाल के मामलों में ऐपल के खिलाफ उठाया गया ये कदम काफी बड़ा है. अमेरिकी सरकार की ओर से बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ ये कार्रवाई की जा रही है. 

क्या है पूरा मामला? 

शिकायत में अटॉर्नी जनरल Merrick Garland ने कहा, 'ऐपल ने स्मार्टफोन मार्केट में मोनोपोली पावर को बनाए रखा है. इसके लिए कंपनी ने ना सिर्फ खुद को दूसरे प्रतिद्वंदियों से आगे रखा है, बल्कि कई फेडरल एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन भी किया है. कंज्यूमर्स को इसलिए ज्यादा पैसे नहीं देने चाहिए क्योंकि कोई कंपनी लगातार नियमों का उल्लंघन कर रही है.'

एंटीट्रस्ट का ये मामला न्यू जर्सी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में फाइल किया गया है. इससे पहले भी ऐपल पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं. लगभग एक साल पहले आलोचकों ने ऐपल पर आरोप लगाया था कि कंपनी App Store के टर्म्स में बदलाव करके, ज्यादा फीस और दूसरे तरीकों से प्रतिद्वंदियों को नुकसान पहुंचा रही है. 

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ऐपल को लोग टेक्नोलॉजी को आसान बनाने के लिए जानते हैं, लेकिन ये किस कीमत पर होता है. इसके लिए सख्त कंट्रोलिंग की जाती है और कुछ मामलों में तो प्रतिबंध भी लगाए जाते हैं. कुछ मामलों में पाया गया है कि ऐपल कंपटीशन के मुकाबले अपने प्रोडक्ट को बेहतर एक्सेस और फीचर्स देता है. 

क्या है कंपनी पर आरोप? 

कंपनी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वे इसके खिलाफ लड़ेंगे. हालांकि, इस मामले में अटॉर्नी जनरल Merrick Garland ने कहा कि ऐपल के एक्शन का व्यापक प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा, 'ऐपल जैसी मोनोपोली से फ्री और फेयर मार्केट प्रभावित होती है, जिस पर हमारी अर्थव्यवस्था चलती है.'

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'ये इनोवेशन को दबाते हैं. ये प्रोड्यूसर्स और वर्कर्स को नुकसान पहुंचाते हैं और कंज्यूमर्स के लिए कीमत को बढ़ाते हैं. अगर उन्हें लगता है कि उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता है और वो स्मार्टफोन मार्केट में अपनी मोनोपोली जारी रख सकेंगे, तो यहां इन सब के लिए एक कानून भी है.'

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कैसे कंपटीशन रह जाता है पीछे? 

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ऐपल iPhone कस्टमर्स को हाई क्वालिटी फोटोज और वीडियो को तेजी से दूसरे यूजर्स को भेजने की सुविधा देता है. मगर एंड्रॉयड यूजर्स पर मल्टीमीडिया मैसेज स्लो सेंड होते हैं. कंपनी ने पिछले साल अपनी क्वालिटी को सुधारने की बात कही थी. हालांकि, अभी भी एंड्रॉयड यूजर्स के मैसेज ग्रीन बबल में आते हैं, जो iPhone और एंड्रॉयड यूजर्स को अलग करते हैं.

इसी तरह से कंपनी हार्डवेयर को लेकर भी करती है. दरअसल, कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को कुछ हार्डवेयर पार्ट्स का एक्सेस दे देती है, लेकिन कंपटीशन को इनके एक्सेस से रोकती है. इसकी वजह से ऐपल ईकोसिस्टम में यूजर्स को मैजिकल एक्सपीरियंस मिलता है.
 

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