लोगों को ठगने के लिए साइबर क्रिमिनल्स तमाम तरीका का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा ही एक तरीका डिजिटल जेल या वर्चुलल जेल है. इस तरीके के फ्रॉड्स में स्कैमर्स CBI या पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को फंसाते हैं. गुरुग्राम से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां साइबर फ्रॉड्स ने पीड़ित को बंधक बनाकर स्कैम किया है.
दरअसल, फ्रॉड्स ने शख्स पर आरोप लगाया कि उनका संबंध मुंबई के अंडरवर्ल्ड से पाया गया है. इसके बाद मामले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट किया और फिर 56 लाख रुपये लूटकर लिए हैं. आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं.
बुधवार को पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है. सेक्टर 51 के रहने वाले देबराज मित्रा ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत के मुताबिक, 11 फरवरी को देबराज को एक कॉल मुंबई से आई. कॉलर ने बताया कि एक कंसाइनमेंट कस्टम डिपार्टमेंट ने पकड़ा है, जो ताइवान से भारत आया है.
इस कंसाइनमेंट में पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, नार्कोटिक्स और लैपटॉप जैसी तमाम चीजें मौजूद हैं. इसके बाद कॉलर ने देबराज को मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों से बात करने के लिए कहा.
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खुद को ASI बताने वाले कॉलर ने देबराज से Skype के जरिए संपर्क किया और उसके आधार कार्ड की जानकारी और फोटोज मांगी. उसने दावा किया कि वो मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से पीड़ित के आधार कार्ड के लिंक होने की जांच करेंगे.
पीड़ित ने बताया कि उसे 24 घंटे के लिए सर्विलांस पर वीडियो कॉल के जरिए रखा गया. इतना ही नहीं स्कैमर्स ने Skype के जरिए ही एक नोटिस भी भेजा. इस नोटिस के मुताबिक मामले को CBI फाइनेंस डिपार्टमेंट ने रजिस्टर कर लिया है और वे मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे हैं.
पीड़ित को बताया गया कि CBI ऑफिस रविवार को बंद रहेगा, तो DCP उससे सोमवार को संपर्क करेंगे. रविवार को पीड़ित को हाउस अरेस्ट रखा गया. इसके बाद सोमवार को उन्हें एक कॉल आती है. कॉलर अपना नाम बाल सिंह राजपूत बताता है.
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उसने बताया कि वो मुंबई साइबर क्राइम DCP है. उसने पीड़ित को बोला कि उन्हें अपनी FD, स्टॉक और म्यूचुअल फंड समेत सभी इन्वेस्टमेंट को एक बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा, जिससे उन सब की मॉनिटरिंग हो सके.
स्कैमर्स ने बताया कि ये ट्रांजेक्शन्स एक आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए हैं. पीड़ित के मुताबिक, उन्होंने दिए हुए बैंक अकाउंट में 56,70,000 रुपये ट्रांसफर किए. स्कैमर्स ने वादा किया गया था कि जांच के बाद उनके पैसे वापस कर दिए जाएंगे. जब उन्हें इस मामले में संदेह हुआ, तो उन्होंने पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई.
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने इस मामले में बुधवार को FIR दर्ज कर ली है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वो इस मामले की जांच कर रहे हैं और अपराधियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है.
इस तरह के कई मामले पिछले दिनों देखने को मिले हैं. ऐसे में अगर आपको भी ऐसी कोई कॉल आती है, तो सवाधान हो जाएं. कानून की भाषा में साइबर अरेस्ट जैसा कोई टर्म नहीं है. इसलिए अगर कोई आपको Skype या दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिए संपर्क करके पुलिस की कार्रवाई करता है, तो ये फ्रॉड होगा.
बेहतर होगा कि ऐसी किसी भी कॉल के आने पर आप पुलिस से संपर्क करें. लोगों को डराने के लिए स्कैमर्स अक्सर पुलिस का नाम लेकर ही कॉल करते हैं. ऐसे किसी भी मामले में अनजान शख्स से अपनी व्यक्तिगत जानकारी शेयर ना करें.