पर्सनल डेटा लोगों की एक बड़ी पूंजी बन चुका है. यही वजह है कि लोग अपने डेटा को सिक्योर रखने के लिए तमाम कदम उठाते हैं. हेल्थ रिकॉर्ड से लेकर फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट, वीडियो और फोटोज सभी हमारे डेटा का हिस्सा हैं. लोग धीरे-धीरे डेटा बैकअप की जरूरत को समझ रहे हैं और इससे जुड़ भी रहे हैं.
इसे लेकर Western Digital ने Researchscape के साथ मिलकर ग्लोबल रिसर्च का रिजल्ट जारी किया है. इस रिसर्च में दुनिया भर से लोगों ने हिस्सा लिया है, जिन्होंने अपने डेटा बैकअप आदतों को लेकर जानकारी दी है. रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 87 फीसदी लोगों ने बताया है कि वो अपना डेटा ऑटोमेटिक या मैन्युअली बैकअप करते हैं.
यानी 87 फीसदी लोगों का कहना है कि वो अपने डेटा को बैकअप करते है. ये बैकअप ऑटोमेटिक और मैन्युअल दोनों तरीकों से होता है. लोगों का कहना है कि डेटा बैकअप की मुख्य वजह जरूरी फाइल्स को खोने का डर है. वहीं 67 फीसदी लोगों का कहना है कि वो डेटा बैकअप अपने डिवाइस के स्टोरेज को फ्री रखने के लिए करते हैं.
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डेटा बैकअप रखने वाले यूजर्स की लिस्ट में भारतीय टॉप पर हैं. जवाब देने वाले 30 फीसदी भारतीय यूजर ने बताया है कि वो अपना डेटा डेली बैकअप करते हैं. वहीं दूसरे नंबर पर अमेरिकी यूजर्स और तीसरे पर UK के लोग है. भारत में डेटा बैकअप के लिए आज भी बड़ी संख्या में लोग एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करते हैं.
फ्रांस में जहां 59 फीसदी लोग एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करते हैं. वहीं भारत में 54 फीसदी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. भले ही भारत में बड़ी संख्या में लोग डेटा बैकअप करते हैं, लेकिन फिर भी डेटा प्रोटेक्शन प्रैक्टिस को लेकर बड़ा गैप नजर आ रहा है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 28 फीसदी भारतीयों ने कहा है कि वे अपने पर्सनल डेटा का बैकअप नहीं रखते हैं.
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इसका मतलब है कि वे अपने डिवाइस पर ज्यादा भरोसा करते हैं. यूजर्स को डेटा स्टोरेज के लिए 3-2-1 का रूल फॉलो करना चाहिए. यानी यूजर्स को अपने डेटा की तीन कॉपी तैयार करनी चाहिए, जो दो अलग-अलग मीडिया टाइप में स्टोर होनी चाहिए और एक कॉपी ऑफसाइट यानी क्लाउड पर स्टोर होनी चाहिए.