आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आजकल हर जगह चर्चा में है. इसके फायदे और नुकसान पर बहुत से लोग बात करते नजर आते हैं. इस टॉपिक पर इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के दौरान एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया. उन्होंने इस मुद्दे पर अमेरिका के बर्कले में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल और अमेरिकी संस्था डेटा काइंड की CEO ल्यूरेन वुडमैन से बातचीत की है.
प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल वो शख्सियत हैं, जिन्होंने Elon Musk के साथ मिलकर AI पर रोक लगाने के लिए ओपेन लेटर पर साइन किया. यह पावरफुल AI डेवलपमेंट पर अस्थाई रोक लगाने के लिए है.
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने शुरुआत ओपेन लेटर से की और प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल से पूछा कि आपने ओपेन लेटर पर साइन क्यों किया? प्रोफेसर रसेल ने बताया कि AI की शुरुआत जब हुई थी, तब से लेकर अब तक वह काफी बड़े स्तर पर पहुंच गया है. बीते साल जब ChatGPT 4 आया तो पता चला वह काफी पावरफुल है और कई साइंटिस्ट इससे भी ज्यादा पावरफुल AI बना रहे हैं, तब उन्हें अहसास हुआ कि अभी पावरफुल AI पर अस्थाई रोक लगाने की जरूरत है.
प्रोफेसर रसेल ने बताया कि ओपेन लेटर पर साइन AI डेवलपमेंट को रोकने के लिए नहीं किया है, ना ही इस पर होने वाली रिसर्च को रोकना चाहते हैं. यह सिर्फ पावरफुल AI के डेवलपमेंट को अभी कुछ समय रोकने के लिए है . दरअसल, AI की पावर रोकने के लिए सरकार के पास सभी संसाधन और रेगुलेशन नहीं है, जिसके लिए समय चाहिए.
प्रोफेसर रसेल ने बताया कि OpenAI ने खुद सरकार को लेटर लिखा कि AI को रेगुलेट करना चाहिए. रेगुलेट करने में उसके लिए कुछ नियम और शर्तें बनाई जाती हैं. इन नियमों के तहत AI काम करेगा. हालांकि अभी इस दिशा में काम हो रहा है.
एक सवाल के जवाब में प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल ने बताया कि लैंग्वेज मॉडल कोई नया नहीं है. यह 20वीं सदी की शुरुआत में ही आ गया था. 1930 के समय रशियन मैथमैटेशियन ने पहली बार लैंग्वेज मॉडल तैयार किया.
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रसेल ने बताया एक प्रिडिक्टेबल लैंग्वेज एक विशाल कॉन्टैक्स्ट से संबंधित है. एक शब्द को प्रिडिक्ट के लिए दो या उससे ज्यादा शब्दों को आधार बनाया जाता है. कई बार प्रिडिक्शन में 2 से 3 हजार तक शब्दों का इस्तेमाल होता है.
रसेल ने बताया कि ChatGPT 4 के लिए ट्रिलियन पैरामीटर्स का इस्तेमाल किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रिलियन पैरामीटर कैसे दिखाई देते हैं. इसके लिए प्रोफेसर रसेल ने बताया कि कल्पना कीजिए एक स्ट्रेन चैन लिंक फेंस के बारे में. यह फेंस 15 किलोमीटर के डायमीटर में फैला है. हर एक फेंस एक पैरामीटर है.
एक सवाल के जवाब में रसेल ने बताया कि एक प्रोजेक्ट को ट्रेन करने के लिए 20 ट्रिलियन या फिर 30 ट्रिलियन टैक्स्ट लगते हैं, जो मानव इतिहास का सबसे बड़ा टैक्स्ट है.
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने जब नौकरी को लेकर सवाल किया तो रसेल ने कहा कि यह बहुत ही जरूरी सवाल है. अधिकतर सरकार और बहुत से माता-पिता इस सवाल का जवाब चाहते हैं.
उन्होंने इसका जवाब एक उदाहरण देते हुए समझाया कि रेडियोलॉजिस्ट का काम एक्सरे आदि लेना है, उसके बाद उस रिपोर्ट को डॉक्टर को दिखाने होता है. ऐसे में यह काम AI भी कर सकता है तो इस तरह की जॉब कम हो सकती हैं.
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इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने पूछा, अगर कोई युवा आगे स्टडी करना चाहता है और यूनिवर्सिटी में जाना चाहता है तो इस नई दुनिया को देखते हुए उसे क्या करना चाहिए? इसके जवाब में रसेल ने कहा कि उनका खुद का बेटा 18 साल का है, जो क्रिएटिव राइटर बनना चाहता है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर AI ऐसे ही एडवांस होता तो सबसे ज्यादा नौकरी इंटरपर्सनल नेचर में होंगी.
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने जब चुनाव में AI की भूमिका के बारे में बात की तो ल्यूरेन ने बताया कि जनरेटिव AI कई लोगों के लिए भारी मुश्किल खड़ी कर सकती है. यह बड़े स्तर पर मिस इनफोर्मेशन फैला सकता है. कुछ महीने बाद भारत में भी आम चुनाव हैं.