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Apple के इस प्राइवेसी फीचर से Facebook नाराज, फुल पेज ऐड देकर की आलोचना

Facebook विज्ञापन मॉडल पर काम करता है. iOS का प्राइवेसी बेस्ड ये फ़ीचर टार्गेटेड ऐड पर कुछ हद तक लगाम लगाएगा. ऐसे में फ़ेसबुक को ये रास नहीं आ रहा है, लेकिन फ़ेसबुक इसे छोटे बिज़नेस के ख़िलाफ़ बता रहा है. ऐसा क्यों?

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऐपल अगले साल से टार्गेटेड ऐड को लेकर परमिशन का फ़ीचर लेकर आ रहा है.
  • फ़ेसबुक को ऐपल का ये फ़ीचर रास नहीं आ रहा है, क्योंकि ऐसे में फ़ेसबुक का बिज़नेस प्रभावित हो सकता है.

Facebook की ज़्यादातर कमाई विज्ञापन से होती है, ये तो आपको शायद पता ही होगा. ऐपल अगले साल से एक ऐसा फ़ीचर देने वाला है जो फ़ेसबुक को नागवार गुजर रहा है. ये फीचर प्राइवेसी पसंद लोगों के लिए अच्छा है. 

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ऐपल के इस फ़ीचर को आप पॉलिसी भी कह सकते हैं. ऐपल का ये कदम फ़ेसबुक को इतना नागवार गुजरा की कंपनी फ़ुल पेज विज्ञापन दे कर ये बता रही है कि ऐपल के इस कदम से छोटे बिज़नेस को नुक़सान होगा.

iOS में अगले साल से दिए जाने वाले इस फीचर के बाद टार्गेटेड ऐड पर एक तरह से लगाम लगाया जा सके. इस तरह के ऐड की शिकायत आम तौर पर यूजर्स करते हैं. लेकिन दूसरी ओर इस तरह के ऐड फेसबुक और दूसरे बिजनेस के लिए फायदेमंद  भी है. 

क्या है ऐपल की ये पॉलिसी जो फ़ेसबुक को रास नहीं आ रही?

दरअसल ऐपल ने ऐलान किया है कि अगले साल से iOS में ऐड ट्रैकिंग के लिए ऐप्स को यूज़र की परमिशन की ज़रूरत होगी. यानी जो ऐप ऐड ट्रैकिंग करना चाहेंगे उन्हें यूज़र्स से इजाज़त लेनी होगी.

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ऐड ट्रैकिंग से यूज़र्स को पर्सनालइज्ड ऐड्स दिए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी प्रोडक्ट को लेकर ब्राउज़ कर रहे हैं या फ़ेसबुक पर उसे देख रहे हैं तो उस आधार पर आपको उसी प्रोडक्ट से जुड़े विज्ञापन दिए जाते हैं. ये फ़ेसबुक ही नहीं, बल्कि दूसरे ऐप्स में भी होता है.

यानी अगले साल से अगर ऐपल ऐप्स पर ये रेस्ट्रिक्शन लगाता है कि ऐड ट्रेकिंग के लिए ऐप्स को यूज़र्स इजाज़त लेना होगा, तो ऐसे में ज़्यादातर यूज़र्स प्राइवेसी को मद्देनज़र रखते हुए टार्गेटेड ऐड को परमिशन नहीं देंगे.

ग़ौरतलब है कि टार्गेटेड और पर्सनलाइज्ड ऐड्स किसी भी ऐप के लिए, ख़ास कर फ़ेसबुक के लिए एक बड़ी कमाई का ज़रिया हैं. यानी ऐपल के इस कदम से सबसे बड़ा नुक़सान फ़ेसबुक का होता दिख रहा है.

लेकिन फ़ेसबुक ये दावा कर रहा है कि कंपनी अपने हित के लिए नहीं, बल्कि छोटे बिज़नेस का हित देख रही है. इस दावे में कितनी सच्चाई है ये तो एक अलग मुद्दा हो सकता है.

बहरहाल बात अब उस विज्ञापन के बारे में करते हैं जो फ़ेसबुक ने अख़बारों में दिया है. अमेरिकी न्यूज़ पेपर्स जैसे न्यू यॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल और वॉशिंगटन पोस्ट में फ़ेसबुक ने ये विज्ञापन दिया है.

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इस विज्ञापन में कंपनी ने कहा है, ’10 मिलियन से ज़्यादा बिज़नेस हर महीने नए कस्टमर्स ढूँढने, कर्मचारियों की हायरिंग करने और अपनी कम्यूनिटीज के साथ कनेक्ट करने के लिए हमारा ऐडवर्टाइजिंग टूल यूज करते हैं. कई छोटे बिज़नेस कम्यूनिटी ने हमसे ऐपल के नए सॉफ़्टवेयर अपडेट को लेकर शिकायत किया है जो उनकी कस्टर्स जुटाने के लिए यूज किए जा रहे पर्सनलाइज्ड ऐड्स को लिमिट करते हैं’

क्या अपने हित के लिए छोटे व्यापारियों का सहारा ले रहा Facebook? 

फ़ेसबुक ने एक तरह से छोटे व्यापार और व्यापारियों के काँधे पर बंदूक़ रख कर एक तरह से अपने हित की भी बात की है. कंपनी ने इस ऐड में कहा है कि महामारी के दौरान सोशल मीडिया के पर्सनलाइज्ड विज्ञापनों की वजह से तरक़्क़ी की है. यहाँ डेलॉयट की एक स्टडी का भी हवाला दिया गया है.

फ़ेसबुक के मुताबिक़ कंपनी का डेटा ये कहता है कि बिना पर्सनलाइज्ड ऐड के  ऐवरेज छोटे बिज़नेस ऐडवर्टाइजर्स को उनके बिज़नेस में 60% तक का नुक़सान हो सकता है.

फ़ेसबुक ने कहा है कि पर्सनलाइज्ड ऐड्स को सीमित करने की वजह से छोटे बिज़नेस को बड़ा नुक़सान होगा और वो अभी भी चैलेंज फ़ेस कर रहे हैं.

फ़ेसबुक ने आख़िर में लिखा है कि छोटे बिज़नेस की आवाज़ सुनी जानी चाहिए और कंपनी ने इसके लिए एक कैंपेन की भी शुरुआत की है.

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फ़ेसबुक ने एक डेडिकेटेड पेज तैयार किया है जहां ऐपल की इस पॉलिसी को छोटे बिज़नेस के ख़िलाफ़ बताया गया है. यहाँ Add your voice का ऑप्शन है और कंपनी छोटे व्यापारियों को इससे जुड़ने को कह रही है.

फ़ेसबुक को ऐपल ऐप स्टोर में प्राइवेसी लेबल से भी समस्या है..

हाल ही में WhatsApp ने कहा था ऐप स्टोर में दिया जाने वाले प्राइवेसी लेबल ऐपल के कुछ ऐप्स पर लागू नहीं होता इसलिए ये फ़ेयर नहीं है. फ़ेसबुक का कहना था कि चूँकि ऐपल आईफ़ोन में मैसेजिंग ऐप पहले से है और इसलिए ऐप स्टोर में ये ऐप नहीं होता.

अगर ऐप स्टोर में ऐप है ही नहीं तो प्राइवेसी लेबल लोगों को कैसे दिखेगा. इतना ही नहीं, वॉट्सऐप की तरफ़ से कहा गया कि वॉट्सऐप दूसरे ऐप्स के मुक़ाबले ज़्यादा सिक्योर है, ऐसे में इससे कम ऐप को भी वॉट्सऐप जैसा ही प्राइवेसी लेबल देना भी फ़ेयर नहीं होगा.

 

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