एलोन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ब्रेन मशीन इंटरफ़ेस पर काफ़ी कुछ कर चुकी है. यानी दिमाग़ में एक बाल से भी बारीक चिप लगा कर कंट्रोल करना या मोबाइल से कनेक्ट करना — इस तरह की तकनीक पर काम किया जा रहा है.
हालाँकि एलोन मस्क इस टेक्नोलॉजी को ट्रीटमेंट के लिए यूज करना चाहते हैं ताकि जो बोल नहीं सकते उन्हें मदद मिल सके. फ़ेसबुक की कहानी इससे थोड़ी अलग है.
फ़ेसबुक जैसी कंपनियों पर आए दिन लोगों की प्राइवेसी में दखलअंदाजी और डेटा मैनिपुलेशन के आरोप लगते रहे हैं. अब फ़ेसबुक इस तैयारी में है कि लोगों की सोच को डिटेक्ट करके उसे ऐक्शन में तब्दील कर दे.
बजफीड की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ फ़ेसबुक ने अपने इंप्लॉइज को बताया है की कंपनी एक ऐसा टूल डेवेलप कर रही है जो न्यूज़ आर्टिकल को समराइज कर देगा, ताकि यूज़र्स को उन्हें पढ़ने की ज़रूरत ही न हो.
बजफीड न्यूज़ ने दावा किया है कि उनके पास फ़ेसबुक के एक इंटर्नल मीटिंग का ऑडियो है. ये पब्लिक नहीं है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक़ ये फ़ेसबुक के हज़ारों इंप्लॉइ के लिए ब्रॉडकास्ट किया जा चुका है.
रिपोर्ट के मुताबिक़ इस मीटिंग में फ़ेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग हैं और इस ऑडियो में कुछ कंपनियों के आला अधिकारियों का प्री रिकॉर्डेड मैसेज है.
बजफीड की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के आख़िर में होने वाली फ़ेसबुक इंप्लॉइज के साथ इंटर्नल मीटिंग में कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI ) असिस्टेंट टूल TDLR पेश किया है जो न्यूज़ आर्टिकल का सार तैयार कर सकता है.
ये टूल बड़े न्यूज़ आर्टिकल को बुलेट प्वाइंट्स में तोड़ेगा ताकि यूज़र्स को पूरा आर्टिकल पढ़ने की ज़रूरत न हो. TDLR यानी Too long didn’t read.
रिपोर्ट के मुताबिक़ फ़ेसबुक के चीफ़ टेक्नोलॉजी ऑफिसर Mike Schroepfer ने इस मीटिंग के दौरान एक वर्चुअल रियलिटी बेस्ड सोशल नेटवर्क Horizon के बारे में भी बताया है जहां यूज़र्स अपने अवतार के साथ बातचीत और हैंगआउट कर सकेंगे.
ग़ौरतलब है कि 2019 में फ़ेसबुक ने न्यूरल इंटरफ़ेस स्टार्टअप CTRL लैब्स का अधिग्रहण किया था. रिपोर्ट के मुताबिक़ इसी के तहत कंपनी ने ब्रेन रीडिंग के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. संभवतः इससे दिमाग़ में चल रहे थॉट को ऐक्शन में तब्दील किया जा सकेगा.
आपको बता दें कि मार्च 2020 में फ़ेसबुक ने अपने ब्लॉगपोस्ट में कहा था कि कंपनी ऐसा डिवाइस बनाना चाहती है जो दिमाग़ पढ़ ले. ब्रेन मशीन इंटरफ़ेस को लेकर रिसर्च को फंड करने की बात कही गई जो किसी शख्स के थॉट को ऐक्शन में तब्दील कर दे.
फ़ेसबुक ने हालाँकि इस रिपोर्ट के बाद किसी तरह का स्टेटमेंट जारी नहीं किया है. ऐसा लग रहा है कि बजफीड न्यूज़ की इस रिपोर्ट के बाद फ़ेसबुक एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ सकता है.