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डिजिटल रूल: सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से 'आज' ही मांगे जवाब

सरकार के नए डिजिटल रूल पर एक बार फिर से सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार ने पत्र लिखा है. सरकार ने कहा है कि जल्द से जल्द इसके अनुपालन के विवरण दें.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • सोशल मीडिया को लेकर नए नियम पर आज ही मांगा गया जवाब
  • सरकार की तरफ से सोशल मीडिया कंपनियों को लिखा गया लेटर
  • सोशल मीडिया कंपनियों से नए नियम के अनुपालन का विवरण मांगा गया है

भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को लेटर लिखा है. इसमें कहा गया है कि नए डिजिटल नियम अनुपालन का विवरण जल्द से जल्द दें.

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दरअसल नए डिजिटल गाइडलाइन की डेडलाइन कल तक थी. सोशल मीडिया कंपनियों से इस गाइडलाइन को फॉलो करने को कहा गया था. 

इस गाइडलाइन में मैसेज ट्रेस करने की बात है जो WhatsApp यूजर्स की प्राइवेसी का हवाला देते हुए नहीं मान रहा है. WhatsApp ने हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है.

हालांकि सरकार WhatsApp की इस दलील को मानने को तैयार नहीं है. सरकार ने ये भी कहा है कि इस लेटर का जवाब अगर आज ही दिए जाएं तो ज्यादा बेहतर होगा. 

यह भी पढ़ें - सोशल मीडिया गाइडलाइन या नया डिजिटल रूल आखिर क्या है? 

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को लिखा है. पत्र लिख कर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्स ने नई डिजिटल गाइडलाइन के अनुपालन का विवरण देने को कहा गया है. 

यह भी पढ़ें - क्या सरकार WhatsApp से लोगों की निगरानी करने को कह रही है?

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सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को तीन महीने तक का समय दिया था और कल इसकी तारीख खत्म हो चुकी है. इन सोशल मीडिया कंपनियों में मुख्य तौर पर फेसबुक और ट्विटर हैं. इनमें दूसरे ऐप्स जैसे इंस्टाग्राम, मैसेंजर, वॉट्सऐप भी शामिल हैं. 

फेसबुक और गूगल की तरफ से अब ये लगभग साफ कर दिया गया है कि सरकार की नई गाइडलाइन मानी जाएगी. लेकिन पेंच WhatsApp में फंस रहा है. हालांकि WhatsApp भी फेसबुक की ही कंपनी है. 

चूंकि WhatsApp एक एंड टु एंड एन्क्रिप्शन मैसेज वाला प्लैटफॉर्म है. इसलिए WhatsApp ने कहा है कि अगर कंपनी ये गाइडलाइन मानेगी तो ऐसे में यूजर्स की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ होगा. 

सरकार ने ये कहा है कि मैसेज ट्रेस उस स्थिति में करने को कहा जाएगा जब कोई क्राइम या गंभीर ओफेंस होगा. इस बात का काउंटर WhatsApp के पास है. कंपनी ने कहा है कि एक भी मैसेज को ट्रेस करने के मतलब है हर यूजर के लिए अलग डेटाबेस तैयार करना. 

WhatsApp ने ये तक कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो यूजर का और भी डेटा WhatsApp के पास जाएगा. 

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