हम आजादी के 75वें साल का जश्न मना रहे हैं. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है. मगर क्या आप किसी ऐसी भारतीय स्मार्टफोन निर्माता कंपनी का नाम जानते हैं, जो दुनियाभर में बहुत पॉपुलर हो. पॉपुलर छोड़िए क्या आप किसी ऐसे देसी स्मार्टफोन ब्रांड को जानते हैं, जिसे लोग भारत में खरीदना पसंद करते हैं.
आप शायद तर्क देने के लिए Karbonn, Lava और Micromax जैसी कंपनियों का नाम लेंगे. मगर इनकी बाजार में मौजूदगी अब ना के बराबर है. ऐसा नहीं है कि इन कंपनियों के ये हालत शुरू से ही थी.
अपने ही मार्केट में इन कंपनियों का ऐसा हाल एक दिन में नहीं हुआ है. चीनी स्मार्टफोन कंपनियों ने धीरे-धीरे भारतीय बाजार से इन देसी ब्रांड्स को दूर कर दिया है.
साल 2014 में अगर आप भारतीय स्मार्टफोन के बाजार पर नजर डालेंगे, तो मार्केट का अलग ही रूप देखने को मिलेगा. 2014 की तीसरी तिमाही में Samsung और Micromax का पूरे भारतीय बाजार में दबदबा था.
सैमसंग की हिस्सेदारी 25.1 परसेंट थी, जबकि माइक्रोमैक्स दूसरे नंबर पर 20.4 परसेंट मार्केट शेयर के साथ था. इसके अलावा Karbonn की हिस्सेदारी 9.6 परसेंट थी. साल 2014 में ही चीनी स्मार्टफोन ब्रांड Xiaomi की भारत में एंट्री हुई थी.
साल 2015 की बात करें तो मार्केट के आंकड़े बदलने लगे थे. इस साल की तीसरी तिमाही में सैमसंग का मार्केट शेयर अभी भी सबसे ज्यादा था. ब्रांड की हिस्सेदारी 23.2 परसेंट हो गई थी.
दूसरे नंबर पर अब भी Micromax ही था, लेकिन हिस्सेदारी घट कर 17.7 परसेंट हो गई थी. टॉप 5 की लिस्ट से Karbonn बाहर हो चुका था. तीसरे नंबर पर Intex, फिर Lenovo और आखिर में Lava था.
साल 2016 की बात करें तो मार्केट पूरी तरह से बदल चुका था. चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स ने पांव पसारना शुरू कर दिया था. तीसरी तिमाही में Samsung का शेयर 22 परसेंट हो गया. माइक्रोमैक्स 10 परसेंट पर पहुंच गया था. इसके बाद Xiaomi का शेयर 6 परसेंट, Vivo का शेयर 5 परसेंट और Oppo का शेयर 4 परसेंट था.
2017 में शाओमी ने अपना दबदबा मार्केट में कर लिया था. साल की तीसरी तिमाही में कंपनी का शेयर 22 परसेंट हो गया था. सैमसंग का मार्केट शेयर उस तिमाही 23 परसेंट पर था. माइक्रोमैक्स का मार्केट शेयर सिमट कर 6 परसेंट रह गया था.
2018 में शाओमी का शेयर सबसे ज्यादा हो गया था. कंपनी 27 परसेंट मार्केट शेयर के साथ टॉप पर पहुंच गई. सैमसंग 23 परसेंट मार्केट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर थी. साल 2019 आते-आते माइक्रोमैक्स और दूसरी भारतीय कंपनियां रेस से बाहर हो चुकी थी.
दरअसल, माइक्रोमैक्स और दूसरी कंपनियों की पहचान देसी ब्रांड की थी ही नहीं. वहीं चीनी स्मार्टफोन कंपनियों ने लोगों को वैल्यू फॉर मनी हार्डवेयर प्रोवाइड किया. बेहतरीन डिजाइन और दमदार स्पेसिफिकेशन्स वाले चीनी स्मार्टफोन्स की यहां भरमार हो गई.
कंज्यूमर्स का झुकाव हमेशा वैल्यू फॉर मनी प्रोडक्ट्स की तरफ ही रहा है. माइक्रोमैक्स चीनी कंपनियों से मुकाबला करने में पिछड़ गई और धीरे-धीरे मार्केट से बाहर हो गई. हालांकि, कंपनी ने पिछले साल एक बार फिर In ब्रांड के साथ एंट्री की. मगर कमजोर पोर्टफोलियो की वजह से मुकाबले में वापसी नहीं कर पाई.