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बड़े डेटा ब्रीच का हुआ खुलासा, 16.8 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक, डिफेंस के लोग भी हैं शामिल

Data Breach In India: डेटा लीक के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है. साइबराबाद पुलिस ने दिल्ली से 7 लोगों को डेटा लीक के इस मामले में गिरफ्तार किया है. पुलिस की मानें तो इन लोगों ने करोड़ों यूजर्स का डेटा लीक किया है और उन्हें बेच भी रहे थे. इसमें डिफेंस और सरकार से जुड़े अधिकारियों की सेसिटिव डिटेल्स शामिल है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

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करोड़ों यूजर्स का डेटा लीक, पुलिस ने किया 7 लोगों को गिरफ्तार
करोड़ों यूजर्स का डेटा लीक, पुलिस ने किया 7 लोगों को गिरफ्तार

एक बड़े डेटा लीक (डेटा ब्रीच) का खुलासा हुआ है, जिसका यूजर्स की सिक्योरिटी पर बड़ा असर पड़ सकता है. साइबराबाद पुलिस ने 7 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है, जिन पर करोड़ों यूजर्स का डेटा चोरी करने और उसे बेचने का आरोप है. इस गैंग पर सरकारी संस्थाओं और महत्वपूर्ण ऑर्गेनाइजेशन्स के डेटा लीक करने का आरोप है, जिसमें 2.55 लाख डिफेंस से जुड़े लोग हैं. 

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इस गैंस ने देश के लगभग 16.8 करोड़ यूजर्स का सेंसिटिव डेटा लीक किया है. आरोपी 140 से ज्यादा कैटेगरी में इंफॉर्मेशन्स को बेच रहे थे. इसमें डिफेंस के लोगों की जानकारी, आम यूजर्स और NEET के स्टूडेंट्स के फोन नंबर समेत दूसरी जानकारियां मौजूद है. साइबराबाद पुलिस कमिश्नर एम स्टीफन रवींद्र ने इसकी जानकारी दी है. 

100 फ्रॉड्स्टर्स को बेचा डेटा

पुलिस ने बताया कि 7 डेटा ब्रोकर को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है, जो नोएडा और दूसरी जगहों से तीन कंपनियों (कॉल सेंटर) के जरिए ऑपरेट कर रहे थे.

अब तक की जांच में पाया गया है कि आरोपियों ने 100 फ्रॉडस्टर्स को ये डेटा बेचा है, जिन्होंने इसका इस्तेमाल साइबर क्राइम में किया है. पुलिस की जांच अभी भी चल रही है. डिफेंस से जुड़े लोगों की सेंसिटिव डिटेल्स में उनकी रैंक, ईमेल आईडी, पोस्टिंग डिटेल्स तक शामिल हैं.

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क्या है पुलिस का कहना?

साइबराबाद पुलिस कमिश्नर ने बताया, 'ये देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है. डिफेंस और सरकार से जुड़े लोगों का डेटा उनकी जासूसी में, फंसाने और संगीन अपराध में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है. हम ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये डेटा कैसे लीक हुआ है.'

पुलिस ने बताया कि आरोपी इन डेटा को एक कॉन्टैक्ट डिटेल्स डायरेक्ट्री सर्विस प्रोवाइड और दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिए बेच रहे थे. जांच में पाया गया है कि आरोपियों ने 50 हजार लोगों के डेटा को सिर्फ 2000 रुपये में बेच दिया है. मामले में सर्विस प्रोवाइडर्स को नोटिस भेज दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. 

कैसे हो रहा था कारोबार? 

पुलिस की मानें तो जब कोई यूजर इनके टोल-फ्री नंबर पर किसी भी सेक्टर या कैटेगरी की कॉन्फिडेंशियल जानकारी के लिए कॉल करता था, तो उसकी क्योरी लिस्ट हो जाती थी. इसे उस कैटेगरी के सर्विस प्रोवाइडर्स को भेज दिया जाता था.

इसके बाद ये फ्रॉडस्टर्स उस क्लाइंट से संपर्क करते और उन्हें सैंपल डेटा भेजते थे. अगर कोई क्लाइंट इन्हें खरीदने के लिए जारी हो जाता, तो पेमेंट के बाद ये उन्हें डेटा भेज देते थे. 

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आरोपियों ने इस डेटा को अलग-अलग ऑर्गेनाइजेशन से लीक किया है. पुलिस ने बताया कि इन लोगों ने खुद को सर्विस डिलिवरी एजेंट्स के तौर पर रजिस्टर किया था और साइबर क्रिमिनल्स को डेटा बेच रहे थे. स्कैमर्स ने लगभग 1.2 करोड़ WhatsApp यूजर्स और 17 लाख फेसबुक यूजर्स को टार्गेट किया था.

पुलिस के हाथ दो करोड़ स्टूडेंट्स की जानकारी लगी है, जिसमें 12 लाख CBSE स्टूडेंट्स, 40 लाख जॉब सीकर, 1.47 करोड़ कार ओनर, 11 लाख सरकारी कर्मचारी और 15 लाख IT प्रोफेशनल्स व अन्य शामिल हैं. इसके अलावा 3 करोड़ यूजर्स का मोबाइल नंबर डेटा बेस टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से लीक हुआ है. 

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