इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में बिल गेट्स (Bill Gates) ने कहा कि भारत को क्लाइमेट चेंज पर इनोवेशन और ज्यादा जागरूकता की जरूरत है. उन्होंने कॉन्क्लेव के दौरान 'ट्रैक चेंज: व्हाई ह्यूमन्स मस्ट रेस टू जीरो' टाइटल वाले सेशन में अपने विचार रखते हुए ये बातें कहीं. सेशन के दौरान गेट्स ने बात करते हुए कई सवालों के जवाब दिए. आइए जानते हैं इनमें से कुछ सवालों के बारे में.
चीजों को पहले से आभास करने की अपनी क्षमता को आप गिफ्ट या चैलेंज किस रूप में देखते हैं?
- मैं इसे गिफ्ट के तौर पर देखता हूं. मैं बहुत भाग्यशाली महसूस करता हूं कि मुझे नई-नई चीजों पर काम करने का मौका मिला. साथ ही जब आप मेरी तरह सक्सेसफुल होते हैं तो आपके ऊपर ज्यादा से ज्यादा जिंदगियों को बचाने की जिम्मेदारी भी होती है और बड़ी दिक्कतों को हल करने के लिए इनोवेशन भी करना होता है. चाहे वो अगली महामारी हो या क्लाइमेट चेंज को रोकना हो.
आप क्लाइमेट चेंज के मुद्दे से कैसे जुड़े?
- मुझे विज्ञान के बारे में पढ़ना और मौसम को समझना पसंद है. लेकिन, अफ्रीका में गेट्स फाउंडेशन के लिए ये मेरा काम था, जहां हम पूरी दुनिया के लिए पोषण और स्वास्थ्य पर काम करते हैं. इसी ने मुझे इसके लिए प्रेरित किया. हम देख रहे थे कि जलवायु पहले से ही भूमध्य रेखा के पास खेती को और अधिक मुश्किल बना रही है. फिर मैंने फैसला किया कि मैं इसके बारे में बेहतर सीखूंगा. इसके बारे में सीखने के लिए साल 2000 से शुरुआत कर मैंने अपने 10 साल दिए. मैंने साल 2010 में एक TED टॉक भी दिया. इसमें मैंने चेतावनी दी ये एक काफी बड़ी समस्या है, जिसके बारे में हम कुछ नहीं कर रहे हैं.
क्लाइमेट चेंज को लेकर कितनी अवेयरनेस आई है?
- हां. लोग अब समझने लगे हैं कि ये काफी बड़ी समस्या है और वक्त के साथ स्थिति और बिगड़ सकती है. साल 2015 में पेरिस क्लाइमेट टॉक एक बड़ा माइलस्टोन था. जहां मैंने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ओबामा समेत 30 दूसरे लोगों ने एजेंडे पर इनोवेशन का आइडिया रखा. इसे मिशन इनोवेशन कहा गया. आइडिया ये था कि इन सभी देशों का R&D बजट ज्यादा होना चाहिए. साथ ही मैंने भरोसा दिया कि अच्छी कंपनियों को फंडिंग दी जाएगी. ताकी वे क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए आइडियाज को प्रोडक्ट में बदल सकें. अब सरकारें इस बारे में सोच रही हैं. हम 2015 के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं.
आप लोगों को कैसे बताते हैं कि यह कल के बारे में नहीं है, यह आज का संकट है?
- इसका वैक्सीन जैका कोई क्विक सॉल्यूशन नहीं है. हालांकि, महामारी काफी भयानक है. लेकिन, इसका अंत हम एक दिन वैक्सीन की वजह से ही देखेंगे. लेकिन, जहां तक क्लाइमेट चेंज की बात है तो हमें बाद की आपदा को रोकने के लिए अभी से काम करना होगा. क्योंकि, इसका पैमाना काफी बड़ा है. खास तौर से भारत सहित भूमध्य रेखा के पास के देशों के लिए, प्रभाव बहुत नाटकीय होंगे.
आप जीरो एमिशन, 70% डी-कार्बोनाइजेशन की बात करते हैं, ये कठिन लगता है. आप बड़े पैमाने पर असर कैसे डालेंगे?
- जीरो की बात करना काफी कठिन है. आज, बिना एमिशन के स्टील या सीमेंट बनाने के लिए ग्रीन प्रोडक्ट्स की लागत मौजूदा कीमत के दोगुने से ज्यादा है. यानी पूरी तरह से ग्रीन में शिफ्ट होना भारत जैसे मिडिल इनकम देश क्या ये अमीरों देशों के लिए भी मुश्किल है. ऐसे में इसका रास्ता है कि क्लिन हाइड्रोजन जैसे बड़े इनोवेशन की जरूरत है और इलेक्ट्रिक कार्स और ट्रक्स को बढ़ाने की जरूरत है.
भारत जैसे देश के लिए इनोवेशन के वे तीन से पांच क्षेत्र क्या हो सकते हैं?
- ये काफी अच्छा है कि इलेक्ट्रिक कारों ने पकड़ बनाना शुरू कर दिया है. ये अभी बाजार का काफी छोटा हिस्सा है. लेकिन, जैसे ही बैटरीज सभी साइज की कारों के लिए सस्ती हो जाएंगी. ये पॉपुलर हो जाएंगी. सरकार इन्हें टैक्स क्रेडिट के साथ आगे बढ़ाएगी और बाजार को शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसी तरह बिजली बनाने के लिए, पवन और सौर ऊर्जा की लागत में कमी आई है. इनके अलावा एक एरिया इंडस्ट्रीयल सेक्टर है. स्टील जैसे चीजों को बनाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन की जरूरत होगी. और भी कई अच्छे आइडियाज है. आपको ऐसे 10 आइडियाज की जरूरत होगी.
हम इस शिफ्ट को कैसे अचीव कर सकते हैं?
- बाद में फायदा पाने के लिए आपको अभी दर्द उठाना होगा. अगर कोई कहता है कि नए बिल्डिंग मत बनाओ, ट्रैवल मत करो, ये अवास्तविक है. ये चंद्रमा पर उतरने से भी ज्यादा मुश्किल है. भारत में जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता बढ़ानी होगी क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में तापमान बहुत बढ़ने वाला है. अगर हम चीजें सही नहीं करते हैं, तो सबसे गरीब को सबसे ज्यादा नुकसान होगा.