टेक कम्युनिटी में लोग आज भी Lumia Phones की बात करते हैं. ये फोन्स Windows OS पर काम करते थे. एक वक्त पर Windows Mobile OS का 50 परसेंट से ज्यादा मार्केट पर कब्जा था. हालांकि, स्मार्टफोन्स के आने के बाद Windows Mobile OS को झटका लगा और कंपनी मार्केट में तेजी से पिछड़ने लगी.
कंपनी ने इसे बदलाव के साथ रिलॉन्च किया. इस बार नोकिया के फोन्स पर हमें Windows OS देखने को मिला. उस वक्त कयास लगाए जा रहे थे कि Windows फोन्स, iOS और Android की तरह ही पॉपुलर होंगे और लोगों के पास एक अलग ऑप्शन होगा. हालांकि, ये कयास महज कयास रहे और कंपनी को साल 2017 में अपने मोबाइल बिजनेस को बंद करना पड़ा.
Microsoft को अपने मोबाइल बिजनेस को बंद करने का दुख आज भी है. हाल में कंपनी के CEO सत्य नडेला ने इस बारे में एक इंटरव्यू में बातचीत की है. इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि विंडोज फोन को बंद करना उनकी एक गलती थी. बिजनेस इनसइडर को दिए एक इंटरव्यू में सत्य नडेला ने इस बारे में बात की है.
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इंटरव्यू में उन्होंने बताया, 'वो फैसला जिस पर बहुत से लोग बात करते हैं. जब मैं CEO बना तो वो सबसे मुश्किल फैसलों में से एक था, जिसमें हमने मोबाइल बिजनेस से बाहर निकलने का फैसला किया. उस फैसले पर दोबारा विचार करूं, तो मुझे लगता है कि अगर हम कोशिश करते तो वो काम कर सकता था. पीसी, टैबलेट्स और फोन्स के बीच कम्युटिंग कैटेगरी को दोबारा इन्वेंट किया जा सकता था.'
यहां पर नडेला नोकिया फोन बिजनेस के अधिग्रहण को लेकर बात कर रहे थे. सत्य नडेला ने बताया कि Microsoft टैबलेट, फोन और पीसी के कम्युटिंग इकोसिस्टम को इनोवेट करना चाहता था. अगर Lumia फोन्स आज भी मौजूद होते, तो उन्हें देखना बेहद दिलचस्प होता. हालांकि, ऐसा हो ना सका.
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब माइक्रोसॉफ्ट के किसी वरिष्ट अधिकारी ने मोबाइल बिजनेस बंद करने को लेकर अफसोस जाहिर किया है. साल 2021 में Microsoft के को-फाउंडर Bill Gates ने भी मोबाइल OS को बंद करने को लेकर असंतोष जाहिर किया था. ऐसा ही कुछ Steve Ballmer का मानना था, जिन्हें सत्य नडेला ने रिप्लेस किया.
बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2017 में स्मार्टफोन बिजनेस से बाहर निकलने का फैसाल किया था. हालांकि, लोग आज भी Lumia Phones को याद करते हैं. उनमें अपने वक्त से पहले के कई फीचर्स मौजूद थे. इन फोन्स के डाउनफॉल की एक प्रमुख वजह ऐप्स का सपोर्ट नहीं मिलना था.
ज्यादातर पॉपुलर ऐप्स का सपोर्ट उन दिनों Android और iOS पर था, लेकिन Windows Phones पर ये ऐप्स मौजूद नहीं थे. यूजर्स को इसके लिए अल्टरनेटिव का यूज करना पड़ता था. Nokia ब्रांड के अधिग्रहण के बाद भी कंपनी आम लोगों तक अपनी पहुंच नहीं बना पाई, ना ही इसे ऐपल की तरह प्रीमियम होने का टैग मिला. कंपनी के फेल होने की एक बड़ी वजह ये भी थी.