scorecardresearch
 

अफवाह फैलाने वाले कंटेंट पर लगे लगाम... दुनियाभर के फैक्ट चेकर्स की YouTube CEO को चिट्ठी

YouTube के भारत में करीब 46 करोड़ यूजर्स हैं. लेकिन, ये अभी भी दुष्प्रचार वाले कंटेंट को रोक पाने में असमर्थ है. इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने इस मामले में YouTube की सीईओ सुसान वोजिस्की को एक पत्र लिखा है. इस पत्र पर इंडिया टुडे ग्रुप के फैक्ट चेकिंग डिपार्टमेंट AFWA (एंटी फेक न्यूज वॉर रूम) ने भी साइन किया है.

Advertisement
X
YouTube
YouTube
स्टोरी हाइलाइट्स
  • YouTube का यूज अफवाह फैलाने के लिए भी हो रहा है
  • YouTube के करीब 46 करोड़ यूजर्स हैं

भारत ने कई मौकों पर सामाजिक और धार्मिक समूहों के बीच खाई को चौड़ी करने और अशांति फैलाने के इरादे से सोशल मीडिया पर किए जाने वाले दुष्प्रचार का खामियाजा उठाया है. हालांकि, फेसबुक जैसे कुछ सोशल मीडिया कंपनियों ने कुछ हद तक नफरत और गलत सूचनाओं के फ्री फ्लो को रोकने के लिए एक सिस्टम स्थापित किया है. लेकिन YouTube जैसे पॉपुलर प्लेटफॉर्म को इस मामले में अभी एक लंबा रास्ता तय करना है.

Advertisement

Statista की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 46 करोड़ YouTube यूजर्स हैं. इसका मतलब है कि तीन में से एक भारतीय मनोरंजन या समाचार से संबंधित कंटेंट के लिए इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है. लेकिन असलियत यह है कि YouTube पर दी जाने वाली जानकारी पर कोई अंकुश और संतुलन नहीं है. 

ये अफवाह फैलाने वालों के लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया है. ये भ्रामक क्लिकबैट्स के माध्यम से रेवन्यू जेनरेट करता है.

इसने ग्लोबली फैक्ट-चेकर्स को इस ओर ध्यान देने के लिए मजबूर किया है. लिहाजा इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने इस मामले में YouTube की सीईओ सुसान वोजिस्की को एक पत्र लिखा है. 12 जनवरी, 2022 को लिखे गए पत्र में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दुष्प्रचार के प्रवाह को रोकने के लिए नीतियों को लागू करने का आग्रह किया गया है और इसके लिए उपाय भी सुझाए गए हैं.

Advertisement

भारत सहित दुनिया भर में लाखों यूजर्स YouTube पर सैकड़ों टीकाकरण विरोधी कंटेंट देख चुके हैं. कैंसर से लेकर कोविड तक के कई फर्जी इलाज से जुड़े वीडियो अभी भी इस प्लेटफॉर्म पर छाए हुए हैं. इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकारों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए इसके नतीजे मुश्किल खड़ी करने वाले रहे हैं.

सरकारी योजनाओं या विशिष्ट समुदायों पर निशाना साधकर गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, खासकर चुनावों के दौरान, YouTube पर इसे एक खुला रास्ता मिल जाता है. अप्रत्याशित रूप से, ऐसे वीडियो बहुत सारे दिमाग को प्रभावित करते हैं, जो भारत की सामाजिक सुरक्षा के लिए हानिकारक है.

ऐसी स्थिति में, YouTube के लिए प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित सामग्री को फिल्टर करना अनिवार्य है. दुष्प्रचार एक वैश्विक खतरा है, जैसा कि पिछले साल की शुरुआत में यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल दंगों के दौरान देखा गया था.

IFCN पत्र ने "दुनिया भर में ऑनलाइन दुष्प्रचार और गलत सूचना के प्रमुख माध्यमों में से एक" होने के लिए YouTube की खिंचाई की. ये कहता है, हमें नहीं लगता कि YouTube ऐसी नीतियों को लागू करने का बहुत प्रयास कर रहा है जो इन समस्याओं का प्रभावी तौर पर समाधान करती हो. इसके उलट, YouTube अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद ऐसे अनैतिक समूहों को ना सिर्फ संगठित होने और फंड इकट्ठा करने का अवसर दे रहा है, बल्कि दूसरे यूजर्स को भ्रमित करने तथा उनके शोषण की अनुमति भी दे रहा है. 

Advertisement

इस पत्र में बताया गया है कि कैसे YouTube यूरोप से लेकर लैटिन अमेरिका तक वैश्विक षड्यंत्र समूहों के लिए एक मंच बन चुका है, और कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका से ताइवान तक चुनावी धोखाधड़ी के निराधार आरोप फैलाए गए हैं. इसने कमजोर समूहों पर लक्षित कई घृणास्पद सामग्री, तानाशाहों और सैन्य ताकतों द्वारा अपराधों को पाक साबित करने की कोशिश पर भी चिंता व्यक्त की है.

हमारे पास ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं. उनमें से कई वीडियो और चैनल आज भी प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं, और वे सभी YouTube की नीतियों के रडार के अंतर्गत चलते हैं, खासतौर पर गैर-अंग्रेजी भाषी देशों और और ग्लोबल साउथ में, पत्र में कहा गया है.

दुष्प्रचार पर YouTube के दृष्टिकोण पर असंतोष व्यक्त करते हुए, पत्र में आगे कहा गया है, “आपके कंपनी प्लेटफॉर्म ने अभी तक दुष्प्रचार के बारे में हो रही चर्चा को कंटेंट हटाने या न हटाने के बीच एक विरोधाभाषी प्रारूप में ढाला है. ऐसा करके, YouTube इन उपायों को लागू करने की संभावना से बच रहा है जो कारगर साबित हो चुके हैं: फैक्ट-चेकर्स के रूप में हमारे अनुभव तथा अकादमिक साक्ष्य यह बताते हैं कि सत्यापित जानकारी को सामने लाना किसी कंटेंट को हटाने से कहीं ज्यादा प्रभावी है.”

Advertisement

इस पत्र में आगे कहा गया है, “चूंकि YouTube पर व्यूज का एक बड़ा हिस्सा प्लेटफॉर्म द्वारा सुझाये गए कंटेंट से आता है इसीलिए YouTube को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वह दुष्प्रचार को बढ़ावा न दे और अपने यूजर्स को ऐसे कंटेंट भी ना सुझाये जो कि अविश्वसनीय चैनलों द्वारा शेयर किये जाते हैं.”

IFCN ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज के प्रसार को रोकने के लिए YouTube को कई उपाय सुझाए. “प्लेटफॉर्म पर दुष्प्रचार के बारे में सार्थक पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्धता” की मांग करते हुए, इसने सुझाव दिया, "YouTube को विभिन्न दुष्प्रचार अभियानों के मूल, उनकी पहुंच तथा प्रभाव को लेकर स्वतंत्र शोध और गलत जानकारी का पर्दाफाश करने के सबसे प्रभावशील तरीकों का समर्थन करना चाहिए. साथ ही उसे दुष्प्रचार और गलत जानकारी के संबंध में अपनी संपूर्ण मॉडरेशन नीति का प्रकाशन करना चाहिए.”

YouTube की गलत प्राथमिकताओं की ओर इशारा करते हुए, पत्र कहता है, “कानूनी अनुपालन के लिए सामग्री को हटाने कि जगह YouTube का फोकस किसी गलत जानकारी को लेकर सही संदर्भ प्रदान करने और उनका सच बताने पर होना चाहिए, जो कि वीडियो पर स्पष्ट रूप से सुपरइंपोज्ड या अतिरिक्त वीडियो कंटेंट के रूप में हो सकते हैं. ऐसा सिर्फ जिम्मेदारी लेते हुए सार्थक और संरचनात्मक सहयोग के माध्यम से और दुनियाभर के उन स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग प्रयासों में निवेश करने से ही आ सकता है, जो इन समस्याओं को हल करने के लिए काम रहे हैं.”

Advertisement

इसने "बार-बार अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की और अपने एल्गोरिदम द्वारा सुझाये गए कंटेंट में दुष्प्रचार के ऐसे स्रोतों को बढ़ावा ना देने की सिफारिश की जो ऐसे कंटेंट को प्लेटफॉर्म पर और उससे बाहर मॉनेटाइज़ करते हैं.”

पत्र ने YouTube को "अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में भी दुष्प्रचार और गलत जानकारी के खिलाफ मौजूदा और संभावी प्रयासों को विस्तार देने, देश और भाषा के आधार पर डेटा के साथ ही साथ ऐसी ट्रांसक्रिप्शन सेवाएं, जो किसी भी भाषा में काम करें,” उपलब्ध कराने को कहा.

इस पत्र पर दुनिया भर के तमाम फैक्ट-चेकिंग संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं. इंडिया टुडे ग्रुप, जिसके अंतर्गत एक समर्पित फैक्ट-चेकिंग डिपार्टमेंट, AFWA (एंटी फेक न्यूज वॉर रूम) है, उसने भी इस पर हस्ताक्षर किया है. 

Advertisement
Advertisement