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Ads देखना पड़ेगा भारी, हैक हो सकता है फोन और कैमरा, इजरायल ने किया डेवलप

इजरायल टेक्नोलॉजी कंपनी Insanet ने कुछ ऐसा डेवलप किया है, जो Ads नेटवर्क की मदद से मोबाइल और कंप्यूटर को टारगेट कर सकता है. इस स्पाईवेयर का नाम Sherlock है. यह चोरी छिपे मोबाइल में जाकर इंस्टॉल हो जाता है और यूजर्स की एक्टिवीटी को ट्रैक कर सकता है. इसे हैकर्स या Ads कंपनियां यूज़ कर सकती हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

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स्मार्टफोन और कंप्यूट़र को आसानी से हैकर सकता है नया स्पाईवेयर. (Photo: unsplash.com)
स्मार्टफोन और कंप्यूट़र को आसानी से हैकर सकता है नया स्पाईवेयर. (Photo: unsplash.com)

डिजिटल लाइफ को ट्रैक करना बहुत ही आसान है. हम पूरे दिन क्या करते हैं, कहां जाते हैं, किसके बारे में सर्च करते हैं, क्या खरीदते हैं. ये सभी जानकारी फोन और कंप्यूटर के जरिए ट्रैस की जा सकती है. 

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ये डेटा यूजर्स को पर्सनलाइज Ads सेंड करने के काम करता है. इस डेटा को एक स्पेशल नेटवर्क के जरिए भेजा जाता है, जो एडवर्टाइजर, पब्लिशर और Ads ब्रोकर के बीच लाइट की स्पीड से डेटा ऑपरेट करता है. लेकिन अब एक नए प्रकार का स्पाई वेयर सामने आया है. 

इजरायल ने किया तैयार

दरअसल, एक इजरायल के एक न्यूजपेपर Haaretz ने बताया है कि इजरायल टेक्नोलॉजी कंपनी Insanet ने कुछ ऐसा डेवलप किया है, जो Ads नेटवर्क की मदद से मोबाइल और कंप्यूटर को टारगेट कर सकता है. इस स्पाईवेयर का नाम Sherlock  है. 

Insanet को रोकना है मुश्किल!

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस स्पाईवेयर को रोकने वाली कोई दूसरी तकनीक नहीं बनी है. साथ ही इजरायली सरकार ने Insanet को इस टेक्नोलॉजी को बेचने की इजाजत दे दी है. 

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Insanet कोई सॉफ्टवेयर नहीं 

Insanet का स्पाईवेयर Sherlock कोई पहला स्पाई सॉफ्टवेयर नहीं है, जो फोन यूजर्स की मर्जी के खिलाफ जाकर उसमें इंस्टॉल हो जाता है और उसकी एक्टिवीटी को ट्रैक करता है. साथ ही फाइल आदि को ट्रांसफर कर सकता है. दरअसल, Pegasus सबसे ज्यादा चर्चित स्पाईवेयर टूल है, जो बीते साल पांच साल के दौरान काफी चर्चा में रहा है. 

कंपनियां भी करती हैं ट्रैक 

कंपनियां मिलकर यूजर्स के इंफोर्मेशन को कैसे ना कैसे ट्रैक कर लेती है, जिससे वह यूजर्स की ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक कर लेती हैं. कई बार यूजर्स के डेटा को डार्क वेब पर सेल किया जाता है. 

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ये ट्रैक कर सकते हैं एक्टिविटी 

यूजर्स की एक्टिवीटी को ट्रैक करने के लिए Malicious का इस्तेमाल किया जाता है. ये Malicious सॉफ्टवेयर सरकारी एजेंसी, प्राइवेट इंवेस्टीगेटर या साइबर क्रिमिनल्स इंस्टॉल करते हैं. इसमें फोन और कंप्यूटर यूजर्स को पता भी नहीं चलता है. 

इन पर होती है नजर 

स्पाईवेयर के तहत निगरानी में मोबाइल के कंटेंट पर नजर रखी जाती है, जिसमें कॉल्स, टैक्स्ट, ईमेल और वॉयस ईमेल्स आदि शामिल होते हैं. कई बार स्पाईवेयर यूजर्स के मोबाइल का फुल कंट्रोल भी ले सकते हैं, जिसकी मदद से फोन का माइक्रोफोन और कैमरा आदि को एक्सेस करके उसका डेटा दूसरे डिवाइस पर सेंड कर सकता है. 

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