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WhatsApp और Meta को सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं मिली राहत, CCI की जांच पर नहीं लगी रोक

WhatsApp CCI Case: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुचे वॉट्सऐप को राहत नहीं मिली है. CCI की जांच पर रोक के लिए वॉट्सऐप और Meta (पहले Facebook) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने CCI की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. आइए जानते हैं इस मामले में कोर्ट ने क्या कहा है.

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WhatsApp के खिलाफ CCI जांच पर रोक लगाने से SC ने किया इनकार (फोटो- Unsplash)
WhatsApp के खिलाफ CCI जांच पर रोक लगाने से SC ने किया इनकार (फोटो- Unsplash)

सुप्रीम कोर्ट ने WhatsApp और Meta प्लेटफॉर्म्स की CCI के खिलाफ दायर याचिका को खारीज कर दिया है. 14 अक्टूबर को देश की शीर्ष अदालत ने ये फैसला सुनाया है. WhatsApp और Meta (पहले फेसबुक) ने प्राइवेसी पॉलिसी मामले में CCI (Competition Commission of India) की जांच पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी.

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जस्टिस एम आर शाह और सुधांशु धूलिया की बेंच ने कंपनी की इस याचिका को खारीज कर दिया है. बेंच ने मामले में कहा, 'कंपटीशन एक्ट 2002 के उल्लंघन की जांच के लिए CCI एक स्वतंत्र अथॉरिटी है. पहली नजर में ये मामला कंपटीशन एक्ट 2002 के उल्लंघन का है और जब इसकी जांच CCI ने शुरू की है, तो ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच अधिकार क्षेत्र के बिना शुरू की गई है.'

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिया था झटका

शीर्ष अदालत WhatsApp और Meta की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केस में CCI की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. मामले में बेंच ने कहा कि CCI की जांच जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए. 

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क्या थी वॉट्सऐप की दलील?

इस केस में कंपटीशन कमीशन की जांच जारी रहेगी. कमीशन वॉट्सऐप पर मेटा के अन्य ऐप्स की प्राइवेसी पॉलिसी की जांच करेगा. वॉट्सऐप की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान पीठ के सामने सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में प्राइवेसी पॉलिसी पर बिल आना है तबतक इस जांच पर रोक लगाई जाए.

कोर्ट ने क्या कहा?

सिब्बल के इस तर्क पर जस्टिस शाह ने कहा कि CCI एक स्वतंत्र वैधानिक बॉडी है. उसकी कार्रवाई को रोका नहीं जा सकता है. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट भी वॉट्सऐप पर मेटा को प्राइवेसी पॉलिसी के मामले में झटका दे चुका है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वॉट्सऐप का एक प्रोडक्ट सेगमेंट में दबदबा है, जिसकी वजह से उनके यूजर्स दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर शिफ्ट नहीं हो सकते हैं. साल 2021 में आई पॉलिसी के बाद भले ही टेलीग्राम और सिग्नल ऐप के डाउनलोड्स की संख्या बढ़ी हो, लेकिन WhatsApp Users की संख्या कम नहीं हुई है.

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