सोचिए अगर आप कार ड्राइव कर रहे हैं और अचानक से कोई हैकर अपने घर से ही आपके कार के सभी दरवाजे खोल दे. या फिर आपकी कार का म्यूजिक सिस्टम अपने कंट्रोल में लेकर खुद आपसे बातें करने लगे.
ये बेहद डरावन है और चिंताजनक भी. लेकिन यही सच है और आने वाले समय में ये कंप्यूटर और मोबाइल हैकिंग की तरह आम हो जाए तो चौंकिएगा नहीं. Tesla कार को हैक किया जा चुका है.
स्मार्टफोन और कंप्यूटर की हैकिंग आम बात है. लेकिन कार हैकिंग अभी भी आम नहीं है. लेकिन अब कार में टेक्नोलॉजी का यूज काफी ज्यादा मात्रा में और तेजी से हो रहा है ऐसे में कार हैकिंग का खतरा भी बढ़ रहा है.
19 साल के डेविड कोलंबो ने टेस्ला कार हैक किया...
19 साल के साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर डेविड कोलंबो ने Tesla की कार हाइजैक कर लिया. टेस्ला कार हैक करके उसके कई फंक्शन को यूज किया. साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर ने टेस्ला कार के दरवाजे खोलने और बंद करने से लेकर म्यूजिक और कार ड्राइविंग का संवेदनशील डेटा तक हासिल कर लिया.
दरअसल साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर डेविड कोलंबो जर्मनी में काम करते हैं. फ्रांस की एक कंपनी के लिए डेविड सिक्योरिटी ऑडिट कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कंपनी के नेटवर्क पर एक असमान्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम देखा.
जिस कंपनी में डेविड काम करते हैं उस कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिस के पास Tesla कार है. इस फ्रेंच कंपनी के नेटवर्क पर किसी तरह से कंपनी के CTO की टेस्ला कार का डेटा मौजूद था.
इस डेटा में कार की पूरी हिस्ट्री थी. यानी कार कहां कहां गई, लोकेशन हिस्ट्री से लेकर कार की दूसरी जानकारियां इस डेटा में शामिल थीं. हालांकि बात यहीं तक नहीं है.
डेविड कोलंबो ने ये भी पाया कि उस डेटा के मिल जाने से वो अपने CTO की टेस्ला कार में यहीं से कमांड पुश कर सकते हैं. इसके बाद उन्होंने CTO की टेस्ला कार के कई फीचर्स हाईजैक कर लिए. इनमें दरवाजे खोलना या बंद करना भी शामिल है.
iOT बेस्ड प्रोडक्ट्स हैकिंग का खतरा...
हालांकि उन्हें कार की स्टीयरिंग और ब्रेक का कंट्रोल नहीं मिल पाया. भले ही कार की स्टीयरिंग और ब्रेक को वो हाईजैक ना कर सके, लेकिन कार के दरवाजे को कंट्रोल करना या फिर दूसरे फीचर को हैक कर लेना एक बड़ी समस्या है.
माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट पर उन्होंने इस बात की जानकारी दी है. इसके बाद से कार हैकिंग की डिबेट शुरू हो गई है. इन दिनों ज्यादातर चीजों को स्मार्ट बनाया जा रहा है और इंटरनेट ऑफ थिंग्स भी तेजी से पॉपुलर हो रहा है. इसके तहत घर की नॉर्मल चीजों को इंटरनेट से कनेक्ट करके यूज करना है. उदाहरण के तौर पर वॉटर कूलर, गीजर, फ्रिज, एसी और वॉशिंग मशीन.
डेविड कोलंबो ने कहा कि उन्होंने यूरोप के 13 देशों के लगभग 25 टेस्ला कार्स में खामी ढूंढी है. उन्हें लगता है कि ऐसी सैकड़ों और कार्स होंगी जिन्हें हाइजैक किया जा सकता है.
ये समस्या सिर्फ टेस्ला कार की ही नहीं है, बल्कि उस ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में है जिसे व्हीकल का डेटा कलेक्ट और अनालाइज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि Tesla ने इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया है. डेविड कोलंबो का कहना है कि टेस्ला की सिक्योरिटी टीम ने उनसे बात की है और फ्यूचर में ऐसा न हो इसके लिए जांच की जा रही है.
कार को हैक या रिमोटली हाईजैक करना नया नहीं है. पहले भी ऐसे मामले आए हैं. हर साल ऑटोमैटिव से जुड़ी हैकिंग या साइबर इंसिडेंट्स डबल हो रहे हैं. इन हैकिंग में कारजैकिंग और डेटा ब्रीच से लेकर कार का कंट्रोल भी हैक करना शामिल है.
कार हैकिंग क्या है?
कार हैकिंग सुन कर ज्यादातर लोगों के मन मे ये आता है कि कोई हैकर कार को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में ले लेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. कार हैकिंग का सिर्फ ये ही मतलब नहीं है.
कार मे जीपीएस सिस्टम होता है. आप कब कहां जा रहे हैं सबकुछ वहां रिकॉर्ड होता है. ऐसे में कोई हैकर अगर आपकी कार के जीपीएस सिस्टम को हैक कर ले तो आपकी संवेदनशील जानकारी उसके पास जा सकती है. इस आधार पर आपकी ब्लैकमेलिंग भी हो सकती है और साथ ही आपके जान को खतरा भी हो सकता है.
इंटरनेट कनेक्टेड कार का चलन तेजी से बढ़ रहा है. एडवांस्ड कार्स के कई फीचर्स मोबाइल ऐप से कंट्रोल किए जा सकते हैं. ऐसे में अगर आपका मोबाइल हैक हो गया तो इस स्थिति में भी हैकर आपकी कार के फीचर्स के साथ छेड़ छाड़ करके आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं.
ऊपर हमने जो नया मामला बताया है उसमें भी ऐसी ही हैकिंग हुई है. साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर को कार का महत्वूर्ण डेटा मिल गया. हालांकि इससे वो कार का ड्राइविंग कंट्रोल हैक नहीं कर पाए, लेकिन विंडो ओपन करना, कार के म्यूजिक सिस्टम को कंट्रोल में लेना, ये सब उन्होंने कर दिया.
कार हैकिंग कैसे की जाती है?
कार में चार पहिए और इंजन के अलावा कई सारी चीजें होती हैं. कार में सॉफ्टवेयर और चिपसेट भी होते हैं. यो कह लें कि मॉडर्न कार्स में कंप्यूटराइज्ड इक्विपमेंट्स लगे होते हैं. इनमें इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल युनिट (ECU), कंट्रोलर एरिया नेटवर्क (CAN), ब्लूटूथ कनेक्शन्स से लेकर कई तरह के इक्विप्मेंट्स लगाए जाते हैं. हैकर्स कंप्यूटराइज्ड इक्विप्मेंट्स को टारगेट करके हैकिंग करते हैं.
साइबर क्रिमिनल्स सबसे पहले कमजोर कड़ी को टारगेट करने की कोशिश करते हैं. अब यहां बात आती है कि कार हैकिंग कितने तरह के होते हैं. इनमें Key Fob हैक सबसे पॉपुलर तरीका है.
Key Fob हैकिंग के तहत उन कार्स को निशाना बनाया जाता है कि जिनमें कीलेस एंट्री सिस्टम होता है. यानी कार स्टार्ट करने के लिए की लगाने की जरूरत नहीं है. दरअसल यहां कार और कार की चाभी से निकल रहे सिग्नल की क्लोनिंग की जाती है जिससे हैकर को कार की एंट्री मिल जाती है.
की फॉब हैकिंग के अलावा सर्वर हैक और मोबाइल ऐप हैकिंग भी इनमें शामिल है. हमने कुछ ऐसे भी उदाहरण देखें हैं जहां कुछ जीपीएस ट्रैकिंग ऐप्स के जरिए कार इंजन को शटडाउन किया जा सकता था.
कार हैकिंग के तहत आपकी कार का ब्रेक डिसेबल किया जा सकता है. क्योंकि आप जैसे ही ब्रेक पैडल पर पैर रखते हैं सिर्फ पैडल प्रेस करने से कुछ नहीं होता है, बल्कि बैकग्राउंड में माइक्रोप्रोसेसर अपना काम कर रहा होता है.
व्हीकल डायग्नॉस्टिक्स में हेर फेर करके भी कार हैकिंग हो सकती है. ऑनबोर्ड व्हीकल डायग्नॉस्टिक्स यानी OBD के जरिए कार में खामियों का पता लगाया जाता है. गलत इरादे से कोई कार मैकेनिक या हैकर इसमें हेर फेर करके कार के फीचर्स हैक कर सकता है.
कई बार हैकर्स कार की डोर अनलॉक करने के लिए Key Fob का रेंज बढ़ा देते हैं. इसके लिए रिपीटर्स का यूज किया जाता है ऐसे में अगर आप अपनी कार से 30 फिट दूर भी खड़े हैं तो डोर अनलॉक किया जा सकते हैं.
इंटरनेट कनेक्टेड कार्स में खतरा ज्यादा...
अभी भी मार्केट में कनेक्टेड कार्स कम हैं, लेकिन खतरा उनमें ही ज्यादा है. ऐसे मे कंपनियों को चाहिए कि कार को हैक प्रूफ बनाएं. वैसे 100% फुल प्रूफ तो कुछ भी नहीं होता, लेकिन कंपनियां ये जरूर मेक श्योर कर सकती हैं कि उनकी कार को हैक नहीं किया जा सके.