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ये स्मार्टफोन App पता लगाता है मच्छरों की लोकेशन, मलेरिया से निपटने में लोगों की कर रहा है मदद

ऐसे तो कई सारे ऐप्स Google Play Store पर उपलब्ध हैं जो मच्छर भगाने का दावा करते हैं. लेकिन, उनके रिव्यू अच्छे नहीं है. अब एक स्मार्टफोन ऐप काफी पॉपुलर हो रहा है.

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Photo Credit: usf.edu
Photo Credit: usf.edu
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस ऐप को ड्रोन के साथ किया जाता है पेयर
  • मच्छर पनपने की लोकेशन की करता है पहचान

एक स्मार्टफोन ऐप काफी पॉपुलर हो रहा है. ये मलेरिया के खतरे को कम करने में मदद कर रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा (यूएसएफ) के कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर बेंजामिन जैकब ने इसे तैयार किया है. 

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ये ऐप एक एल्गोरिदम पर काम करता है जिससे इसे ड्रोन के साथ पेयर किया जाता है. फिर ये सैटेलाइट इमेज के जरिए उन लोकेशन की पहचान करता है जहां पर मच्छर पैदा होते हैं. इस वजह से युगांडा में 31 दिन में 100 परसेंट पहचाने गए हैबिटेट को खत्म करने में मदद मिली. 

आपको बता दें कि युगांडा में मलेरिया मृत्यु का प्रमुख कारण है. वहां पर इस ऐप की वजह से इससे निपटने में काफी मदद मिली. जैकब मच्छरों पर साल 2010 से ही रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने ड्रोन पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर स्टडी की. इससे उन्हें मच्छरों के पिनप्वॉइंट लोकेशन को खोजने में मदद मिली. 

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इस प्रेडिक्टिव मैपिंग ने उन्हें हिल्सबोरो, मानेटी और पोल्क काउंटी में मौजूद डेंगू और जीका वायरस के साथ 9,000 मच्छरों के हैबिटेट को खोजने में मदद मिली. इस ऐप को सक्सेस मिलने के बाद उन्होंने Seek and Destroy प्रोग्राम लॉन्च किया. 

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वो इसके लिए सरकारी एजेंसी को ट्रेन करते हैं. इस प्रोग्राम का यूज कंबोडिया, युगांडा, केन्या और रवांडा में किया जा रहा है ताकि उनकी सरकारें बीमारी के फैलने से पहले कमजोर क्षेत्रों की जल्दी पहचान कर सकें. 

मच्छरों के अलावा जैकब एक नए प्रोग्राम Slash and Clear पर काम कर रहे हैं. इससे उन्हें ब्लैक फ्लाई लार्वा की पहचान करने में अपनी टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में मदद मिलेगी. इससे अंधापन वाली ओंकोसेरसियासि बीमारी होती है. 

 

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