पिछले कुछ समय से TRAI कंज्यूमर्स हितों को लेकर सख्त दिख रहा है. हाल ही में TRAI की सख्ती के बाद सभी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों ने कॉलिंग वाले प्लान्स लॉन्च किए हैं. हालांकि दूसरे प्लान्स में कोई बदलाव नहीं है, लेकिन कुछ प्लान्स महंगे जरूर हो गए हैं. कम से कम यूजर्स को ये राहत मिली है कि अब उनके पास सिर्फ कॉलिंग वाले प्लान्स चुनने का ऑप्शन है.
TRAI ने अब टेलीकॉम कंपनियों पर पेनाल्टी लगाने का फैसला किया है. हालांकि ये पेनाल्टी प्लान्स को लेकर नहीं, बल्कि स्पैम कॉल्स और मैसेजेस को लेकर है. TRAI के मुताबिक अगर टेलीकॉम कंपनियां नियम तोड़ती हैं तो ऐसे में 10 लाख रुपये तक की पेनाल्टी लगाई जा सकती है.
टेलीकॉम कंपनियां TRAI के इस कदम से खुश नहीं हैं और COAI ने इसका विरोध किया है. COAI का कहना है कि इस तरह की पेनाल्टी कंपनियों पर नहीं लगनी चाहिए. COAI ने फ्रेमवर्क बनाने की भी बात कही है जिसके दायरे में WhatsApp और Telegram जैसे ऐप्स भी आने चाहिए.
गौरतलब है कि टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI भारत सरकार की एक बॉडी है जो कंज्यूमर हितों का ख्याल रखती है. हालांकि समय समय पर TRAI पर भी आरोप लगते रहे हैं कि ये बॉडी कंज्यूर्स के हितों का ख्याल ठीक से नहीं रख रही है. लेकिन पिछले कुछ समय से ये परसेप्शन बदला है.
TRAI ने टेलीकॉम कमर्शियल कम्यूनिकेशन कस्टमर प्रेफ्रेंस रेग्यूलेशन्स ( TCCCPR), 2018 को अमेंड किया है और इसमें कुछ चीजें जोड़ी हैं जिनमे ये प्रोविजन्स हैं
- एक्स्टेंडेट रिपोर्टिंग विंडो: कस्टमर्स अब 7 दिन के अंदर किसी स्पैम कॉल को रिपोर्ट कर सकेंगे. इससे पहले रिपोर्ट करने का समय सिर्फ 3 दिनों तक का था. ऐसे में अब ज्यादा लोग स्पैम कॉल्स रिपोर्ट कर पाएंगे और कंपनियों को इन्हें सॉल्व करना ही होगा.
- एक्सेलरेटेड ऐक्शन अगेंस्ट अनरिजस्टर्ड सेंडर्स: टेलीकॉम ऑपरेटर्स को अब किसी भी अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स पर पांच दिन के अंदर ऐक्शन लेना होगा. इससे पहले 30 दिन का टाइमफ्रेम था. यानी अब टेलीकॉम कंपनियों को ये जल्दी करना होगा.
- फिनांशियल पेनाल्टी: नियम वॉयलेट करने पर टेलीकॉम कंपनियों को 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की पेनाल्टी देनी होगी. पहले वॉयलेशन पर 2 लाख रुपये, दूसरे वॉयलेशन पर 5 लाख रुपये और लगातार वॉयलेशन पर 10 लाख रुपये की पेनाल्टी तय की गई है.
- पैटर्न अनालिसिस: टेलीकॉम प्रोवाइडर्स को कॉल्स और मैसेजेस का पैटर्न अनालाइज करना होगा. हाई वॉल्यूम और शॉर्ट ड्यूरेशन वाले कॉल्स पर फोकस करके पोटेंशियल स्पैमर्स को आइडेंटिफाई करने का आदेश है.
- स्टैंंडर्डाइज्ड मैसेज हेडर्स: मैसेजेस को P, S,T और G हेडर्स के साथ कैटेगराइज्ड करना होगा. यहां P का मतलब प्रोमोशनल, S का मतलब सर्विस और G का मतलब गवर्नमेंट.
TRAI के इस कदम से कंज्यूमर्स को क्या फायदा होगा?
- अब स्पैम कॉल्स को रिपोर्ट करने के लिए यूजर्स के पास ज्यादा वक्त होगा.
- इस मैेंडेट के बाद अब कंपनियों को स्पैम कॉल या मैसेज की शिकायत जल्दी सुन कर उसे सॉल्व करना होगा.
- पेनाल्टी की वजह से कंपनियों को अब स्पैम कॉल्स और मैसेज पर ज्यादा सख्ती करनी होगी, जिससे यूजर्स को फायदा होगा.
- मैसेज में हेडर के प्रोविजन के बाद कस्टमर्स के लिए ये जानना आसान होगा कि स्पैम मैसेज कौन से हैं और असली मैसेज कौन से हैं.
क्यों टेलीकॉम कंपनियां कर रही हैं विरोध? क्या है दलील
भारत में सभी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को COAI रिप्रेजेंट करती है और उनके हितों का ख्याल रखती है. जैसे TRAI को कंज्यूमर हितों का ख्याल रखने के लिए बनाया गया है वैसे ही एक COAI यानी सेल्यूलर ऑपरेटर्स असोसिएशन है.
TRAI के इस अमेंडमेंट के बाद टेलीकॉम कंपनियों की तरफ से COAI ने इसका विरोध किया है.
- COAI का कहना है कि इस रेग्यूलेशन का असर OTT सर्विसेज पर नहीं पड़ेगा. बता दें कि WhatsApp, Telegram और दूसरे ऐसे ऐप्स को OTT सर्विसेज कहा जाता है.
- दलील ये भी है कि WhatsApp, Telegram और दूसरे ऐप के जरिए भी स्पैम कॉल्स और मैसेजेस आ रहे हैं. लेकिन इस अमेंडमेंट से उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसलिए TRAI को कॉम्प्रिहेंसिव फ्रेमवर्क तैयार करना चाहिए ताकि इस प्रोविजन में उन पर भी जुर्माना लगाया जा सके.
- COAI ने कहा है कि पेनाल्टी टार्गेटेड टेलीमार्केटर्स और स्पैम ओरिजिनेटर पर लगना चाहिए ना कि टेलीकॉम कंपनियों पर जो इंटरमिडरीज के तौर पर काम करती हैं.
- पेनाल्टी की वजह से टेलीकॉम कंपनियों पर लोड बढ़ेगा, क्योंकि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के पास यूजरबेस ज्यादा हैं और वाइड नेटवर्क है.
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