अभी तक आप अपने फोन नंबर को रिचार्ज करने के लिए पैसे देते आए हैं. गुरुवार को एक रिपोर्ट आई जिसमें कहा गया कि TRAI ने एक प्रस्ताव रखा है, जिसकी वजह से टेलीकॉम यूजर्स को एक्स्ट्रा पैसे देने पड़ सकते हैं. दरअसल, ट्राई फोन या लैंडलाइन नंबर यूज करने के लिए एक अलग से चार्ज चाहती है. इस चार्ज को पहले टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर लगाया जा सकता है, जो बाद में आम यूजर्स के वासूला जा सकता है. हालांकि, इस पर अभी कोई नियम नहीं बना है. आइए जानते हैं पूरा मामला. हालांकि अब TRAI ने साफ कर दिया है कि ऐसा कोई प्लान नहीं है.
UPDATE: TRAI ने एक Press Release जारी करके कहा है कि ऐसा कोई प्लान नहीं है. फोन नंबर रखने के लिए अलग से पैसे देने वाली रिपोर्ट गलत है और TRAI की तरफ से ऐसा कोई कंस्लटेशन पेपर जारी नहीं किया गया है.
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ट्राई का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए नंबरिंग सिस्टम का रिव्यू किया जाना जरूरी है. अथॉरिटी का कहना है कि मोबाइल नंबर एक सीमित सरकारी संपत्ति हैं. इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए इन पर चार्ज लगाना चाहिए.
भारत में टेलीकॉम यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसकी वजह से ये सेक्टर काफी बदल गया है. ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 में भारत में 1.19 अरब से ज्यादा टेलीफोन कनेक्शन हैं. साथ ही भारत में टेलीकॉम डेंसिटी 85.69 परसेंट पहुंच गई है. यानी भारत में हर 100 में 85 लोगों के पास टेलीफोन कनेक्शन है.
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इसकी वजह से टेलीफोन नंबर्स की मांग बढ़ रही है. इसके लिए ट्राई ने नई नबरिंग योजना का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत फोन नंबर देने की व्यवस्था को और बेहतर किया जाएगा. अथॉरिटी का कहना है कि स्पेक्ट्रम की तरह ही फोन नंबर देना का अधिकार भी सरकार के पास है.
मोबाइल कंपनियों को सिर्फ लाइसेंस वैलिडिटी के दौरान ही इनके इस्तेमाल का अधिकार मिलता है. कई दूसरे देशों में भी इस तरह का नियम है, जहां फोन नंबर के लिए अलग से चार्ज देना होता है. कुछ देशों में ये चार्ज टेलीकॉम कंपनियां देती हैं, जबकि कुछ में ग्राहकों को देना होता है.
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ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, सिंगापुर, ग्रीस, फिनलैंड, लिथुआनिया, कुवैत, नीदरलैंड, हॉन्गकॉन्ग, पोलैंड, स्विट्जरलैंड, नाइजीरिया, डेनमार्क और दूसरे देशों में इस तरह की व्यवस्था है. भारत में भी सरकार इसकी तरह का नियम लागू कर सकती है (अगर ट्राई के प्रस्ताव को माना जाता है).
इसके साथ ही ट्राई कम इस्तेमाल होने वाले नंबरों पर भी जुर्माना लगाने पर विचार कर रही है. आसान भाषा में कहें, तो अगर आप किसी सिम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो भी टेलीकॉम कंपनियां उसे बंद नहीं करती हैं. क्योंकि इससे उनका यूजरबेस बड़ा नजर आता है. हालांकि, इससे उस नंबर का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है.
ये दिक्कत डुअल सिम रखने वालों के साथ होती है, जिसमें वे अपना एक सिम कार्ड तो यूज कर रहे होते हैं, लेकिन दूसरे को सिर्फ एक्टिव रखते हैं. एक्टिव भी इसलिए रखना होता है क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां तमाम सर्विसेस के लंबे समय तक बंद रहने पर सिम कार्ड को डिएक्टिवेट कर सकती हैं.
फिलहाल ट्राई ने ये सभी बातें अपने प्रस्ताव में कही हैं. इस प्रस्ताव पर सभी पक्षों को अपना जवाब जुलाई की शुरुआत तक देना है. इन सभी पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.