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यूरोप वाले नियम भारत में नहीं चलेंगे, दो चार्जर पॉलिसी पर हुई बैठक, खत्म होगी कंपनियों की मनमानी?

अभी तक हम अलग-अलग गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर देखते आए हैं. मसलन लैपटॉप, स्मार्टफोन, ईयरबड्स और दूसरे गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर होते हैं. इसकी वजह से लोगों को हर गैजेट्स के लिए अलग चार्जर रखना पड़ता है. जल्द ही कंपनियों की मनमानी खत्म हो जाएगी. भारत में सिर्फ दो तरह के चार्जिंग पोर्ट पॉलिसी पर बैठक हुई है.

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नहीं चलेगी टेक कंपनियों की मनमानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नहीं चलेगी टेक कंपनियों की मनमानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कॉमन चार्जर पॉलिसी पर यूरोपीय यूनियन फैसला ले चुकी है. यह पॉलिसी पूरे यूरोप में साल 2024 से लागू हो जाएगी. यानी यूरोप में आपको सभी गैजेट्स को चार्ज करने के लिए एक ही चार्जर की जरूरत होगी. ऐसा ही हमें भारत में भी देखने को मिल सकता है. बुधवार को कंज्यूमर अफेयर ने स्टेकहोल्डर्स के साथ इस मामले पर बैठक की है. 

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हालांकि, भारत में यह मामला थोड़ा अलग है. यहां आपको सभी गैजेट्स के लिए एक चार्जर नहीं मिलेगा. बल्कि आपको दो तरह के चार्जर देखने को मिलेंगे. इसमें से एक सस्ते गैजेट्स के लिए हो सकता, जबकि दूसरा मिड रेंज और प्रीमियम डिवाइसेस के लिए होगा.

कौन-सा चार्जर होगा यूज?

इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी ने बताया कि भारत शुरुआत में दो तरह के चार्जर पर शिफ्ट करने की योजना में है. इसमें एक टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट होगा.

उन्होंने बताया कि सभी डिवाइसेस के लिए कॉमन चार्जर पर शिफ्ट होना एक जटिल समस्या है. इस मुद्दे पर अंतिम फैसला सभी स्टेकहोल्डर्स के विचार सुनने के बाद लिया जाएगा. 

कॉमन चार्जर पर टाइम चाहती हैं कंपनियां

सेक्रेटरी ने बताया कि स्टेकहोल्ड कॉमन चार्जर पर शिफ्ट होने से पहले और ज्यादा विचार विमर्श चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने ई-वेस्ट पर अपनी चिंता भी व्यक्त की है. यानी कॉमन चार्जर पॉलिसी में एक चार्जिंग पोर्ट टाइप-सी होगा, जबकि दूसरे पोर्ट की जानकारी फिलहाल नहीं है.

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यूरोपीय यूनियन ने भी सभी प्रकार के डिवाइसेस के लिए टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट को मंजूरी दी है. ज्यादातर स्मार्टफोन्स में और दूसरे मिड रेंज गैजेट्स में हमें टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट देखने को मिलता है.

ऐपल पर होगा असर

वहीं स्मार्टवॉच में आपको अलग तरह के चार्जर देखने को मिलते हैं. कंपनियां इसमें मैग्नेटिक चार्जर देती हैं, जिन्हें किसी भी एडॉप्टर से कनेक्ट किया जा सकता है. फीचर फोन्स में हमें माइक्रो USB चार्जिंग पोर्ट मिलता है. Apple iPhone में लाइटनिंग केबल देता है. 

यूरोप में लिए गए फैसले का सबसे ज्यादा असर ऐपल पर पड़ा है. क्योंकि ज्यादातर स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट में टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट का ही इस्तेमाल करती हैं. वहीं ऐपल अफने फोन्स में लाइटनिंग केबल देता है. इस फैसले के बाद ऐपल को अपने चार्जिंग पोर्ट में बदलाव करना होगा.

भारत में अभी तक चार्जिंग सपोर्ट पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है. यहां पर एक बड़ी चुनौती वियरेबल्स के चार्जिंग पोर्ट की है. बाजार में सस्ती स्मार्टवॉच भरी पड़ी हैं. अगर इनके चार्जिंग पोर्ट में बदलाव होता है, तो इससे कॉस्ट बढ़ सकती है. ज्यादातर बजट स्मार्टवॉच में मैग्नेटिक चार्जर मिलता है. 

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