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भूल जाएंगे ChatGPT और DeepSeek AI, आ गया नया चीनी AI मॉडल kimi

What is Kimi AI: AI जगत में चीन ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है और इसके साथ ही अमेरिका के एकक्षत्र राज को भी चुनौती मिलने लगी है. चीनी AI मॉडल DeepSeek R1 के अमेरिका में लॉन्च होने के कुछ ही दिनों में Nvidia जैसी कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है. अब Kimi AI की चर्चा हो रही है, जो एक मल्टीमॉडल प्लेटफॉर्म है. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.

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Kimi AI तेजी से पॉपुलर हो रहा है.
Kimi AI तेजी से पॉपुलर हो रहा है.

AI की दुनिया में अब तक अमेरिका का दबदबा था, लेकिन चीन की एंट्री के साथ ही अमेरिकी कंपनियों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. DeepSeek R1 की एंट्री के साथ अमेरिकी बाजार से लाखों करोड़ साफ हो गए. DeepSeek-R1 अमेरिकी AI कंपनियों के लिए चुनौती बना हुआ है. इसके साथ ही एक और चीनी AI की एंट्री बाजार में हो गई है, जो तेजी से पॉपुलर हो रहा है. 

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DeepSeek से शुरू हुआ चीनी AI युग अब Kimi k1.5 में प्रवेश कर चुका है. ये AI प्लेटफॉर्म OpenAI के GPT-4o और Claude 3.5 Sonnet से कई मामलों में आगे निकल रहा है. आइए जानते हैं इस AI प्लेटफॉर्म की खास बातें. 

क्या है Kimi k1.5?

बीजिंग स्थित स्टार्टअप Moonshot AI का लेटेस्ट मॉडल Kimi k1.5 तेजी से पॉपुलर हो रहा है. इस प्लेटफॉर्म को हाल में रिलीज किया गया है, जो OpenAI-o1 को टक्कर दे रहा है. GPT-o1 को किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले उस पर विचार करने के लिए तैयार किया गया है. यानी ये प्लेटफॉर्म पहले आपके सवाल को समझता है, फिर उस पर सोचकर जवाब देता है. 

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Kimi k1.5 भी इसी तरह से काम करता है. रिपोर्ट्स की मानें तो ये प्लेटफॉर्म o1 से मैथ्स, कोडिंग और दूसरे मामलों में आगे निकल रहा है. ये प्लेटफॉर्म टेक्स्ट के साथ फोटो और वीडियो तक को समझता है, जिसकी वजह से ये अमेरिकी कंपनियों के ज्यादा बड़ी चुनौती है. 

क्या है इसमें अलग? 

माना जा रहा है कि Kimi k1.5 सिर्फ एक AI मॉडल नहीं है, बल्कि इसे रिइंफोर्समेंट लर्निंग और मल्टीमॉडल रीजनिंग में बड़े उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है. ये मॉडल विजुअल डेटा, टेक्स्ट और कोड्स को एक साथ मिलाकर मुश्किल प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर सकता है. बेंचमार्च के आधार पर ये Kimi k1.5 मॉडल GPT-4o और Claude Sonnet 3.5 को आउटपरफॉर्म करता है. 

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Kimi k1.5 डेटा के विभिन्न फॉर्मेट्स को प्रॉसेस कर सकता है. जहां पारंपरिक AI मॉडल्स स्टैटिक डेटासेट पर निर्भर होते हैं. वहीं Kimi k1.5 एक्सप्लोरेशन और रिवॉर्ड्स के जरिए सीखता है. इस प्रक्रिया की वजह से ये प्लेटफॉर्म जटिल समस्याओं को आसानी से हल कर पाता है. 

कैसे करता है काम?

जैसा पहले ही बताया गया है कि Kimi रिइंफोर्समेंट लर्निंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है. ये प्लेटफॉर्म खुद को एक्सप्लोर करने और रिफाइनिंग सॉल्यूशन के जरिए बेहतर करता है. ये मॉडल किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले उस पर विचार करता है. यानी ये उस समस्या को छोटे-छोटे स्टेप्स में तोड़ा है और फिर उन्हें हल करके आपको फाइनल आउटपुट देता है.

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