कुछ समय पहले Pegasus स्पाईवेयर काफी विवादों में रहा है. अब इसे बनाने वाली इजरायली जासूसी कंपनी NSO Group की मुसीबत बढ़ने वाली है. इस पर Meta के इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp ने केस दायर किया था जिसे अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है.
WhatsApp का आरोप है Pegasus ने ऐप की खामी का फायदा उठाकर लोगों के फोन में स्पाई या जासूसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया. इससे 1400 लोगों की जासूसी की गई. इसमें जर्नलिस्ट, ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और दूसरे लोग शामिल हैं.
निचली अदालत का फैसला खारिज
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, न्यायधीशों ने निचली अदालत के फैसले पर NSO Group की अपील को खारिज कर दिया और कहा मुकदमा आगे बढ़ सकता है. इजरायली कंपनी ने अपने आपको विदेशी सरकार का एजेंट बताया था और इस वजह से कहा गया था कि मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता है. लेकिन, अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है.
1400 लोगों की जासूसी का आरोप
मेटा का WhatsApp उन कंपनियों में से एक है जो इजरायली फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है. NSO Group पर आरोप है कि इसने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पेगासस इंस्टॉल कर 1400 लोगों पर नजर रखी.
साल 2019 के केस के अनुसार, कंपनी चाह रही है कि NSO Group को मेटा प्लेटफॉर्म और सर्वर से ब्लॉक कर दिया जाए ताकि आगे से ऐसा कुछ नहीं हो. इसके अलावा कंपनी अनस्पेसिफाइड नुकसान की भरपाई भी चाहती है.
मेटा ने किया फैसले का स्वागत
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मेटा ने स्वागत किया है. मेटा WhatsApp और फेसबुक दोनों की पैरेंट कंपनी है. NSO ग्रुप पिछले कई सालों से विवादों में रहा है. ये साइबर अटैक करने के लिए जाना जाता है. मेटा ने एक बयान में कहा है कि जासूसी सॉफ्टवेयर के ऑपरेशन से अमेरिकी कानून का उल्लंघन हुआ है और इस अनलॉफुल ऑपरेशन के लिए उनको जिम्मेदार ठहराना होगा.
आपको बता दें कि पेगासस का केस भारत में भी काफी चर्चा में रहा है. विपक्ष सरकार को लगातार इस मुद्दे पर घेरती रही है. आरोप है इसके जरिए विपक्ष के कई नेताओं की जासूसी भारत सरकार ने कराई है. हालांकि, सरकार ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है.