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AI रेस में चीन से पीछे क्यों है भारत? Zerodha CEO Nithin Kamath ने जुगाड़ को बताया दोषी

Nithin Kamath News: अमेरिका और चीन के बीच AI रेस शुरू हो गई है, जिस पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है. इन सब के बीच लोग भारत की स्थिति पर सवाल कर रहे हैं. पूछा जा रहा है कि भारत AI की रेस में कहा है. इस सवाल पर Zerodha CEO नितिन कामत ने जवाब दिया है. उन्होंने बताया है कि भारत आखिर क्यों इस रेस में शामिल नहीं हो पा रहा है.

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Zerodha CEO नितिन कामत
Zerodha CEO नितिन कामत

चीनी (DeepSeek) और अमेरिकी AI (OpenAI, Gemini, Meta AI) के चर्चा के बीच एक सवाल आता है भारत का. इस रेस में भारत कहां है. इस पूरे मामला पर Zerodha के CEO नितिन कामत ने X पर पोस्ट लिखा है. इस पोस्ट में नितिन ने टेक्नोलॉजी और AI सेक्टर में भारत के पिछड़ने पर चिंता जताई है. 

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उन्होंने कहा है कि समस्याओं को सुलझाने की हमारी पारंपरिक सोच ही AI सेक्टर में हमारे रास्ते का रोड़ा है. हाल में लिखी पोस्ट में नितिन ने भारत और चीन की स्थिति को कंपेयर किया है. उन्होंने बताया है कि 1960 और 1970 के दशक में दोनों देशों की GDP कहां थी और आज ये स्थिति कहां है. 

कभी एक बराबर थे भारत और चीन

कामत ने बताया है कि 1960 और 70 के दशक में भारत और चीन की प्रति व्यक्ति GDP लगभग एक बराबर थी, लेकिन 1980 से ये कहानी बदलने लगी. 1980 के दशक में चीन ने अपने अर्थव्यवस्था और टेक्नोलॉजी में बदलाव किए. इसकी वजह से 1990 में चीन भारत से पर कैपिटा GDP में आगे निकल गया. ये ट्रेंड आज तक चला आ रहा है. यानी आज तक चीन हमसे आगे है. 

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नितिन कामत ने DeepSeek को सिर्फ एक उदाहरण बताया है. उन्होंने इस AI मॉडल की प्रशंसा की है. इस AI मॉडल को सिर्फ 60 लाख डॉलर के बजट में तैयार किया गया है, जो कई मामलों में OpenAI के लेटेस्ट मॉडल को भी आउटपरफॉर्म कर देता है. 

जुगाड़ वाली सोच को बताया दोषी

Zerodha के CEO ने भारत के पिछड़ने की वजह जुगाड़ को बताया है. उन्होंने लिखा, 'मेरा मानना ​​है कि जो समस्या भारत को हमेशा परेशान करती रही है वह है शॉर्ट-टर्मिज्म. समस्याओं को हमेशा से एक जुगाड़ से ठीक किया जाता है. कई समस्याओं को जुगाड़ से ठीक नहीं किया जाना चाहिए, उनके लिए लंबे समय तक काम करना होता है.'

उन्होंने कहा, 'आप सिर्फ GPU खरीद कर ये उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि भारतीय एक क्रांतिकारी AI ऐप्लिकेशन बना देंगे. बिना सही टैलेंट और इकोसिस्टम के दुनिया के सभी GPU किसी काम के नहीं हैं. हमने अपने रिसर्च कैपेबिलिटी को तैयार करने पर काम करना चाहिए.'

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कामत ने लिखा, 'भारत में बेहतरीन रिसर्चर्स हैं, लेकिन हम उन्हें जरूरी माहौल ने नहीं दे पाते हैं. जिसकी वजह से ज्यादातर रिसर्चर्स अमेरिका चले जाते हैं. इसका रिजल्ट तुरंत नजर नहीं आएगा. चीन के मामले में भी दो दशक लग गए. अगर हम आज काम शुरू करेंगे, तो अगले 5 से 10 साल में इसका रिजल्ट नजर आएगा.'

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