बहुत से लोगों को बैटरी बूस्टर और डेटा क्लिनर के ऐड्स नजर आते हैं. YouTube से लेकर Google Chrome तक पर इस तरह के ऐड्स नजर आते हैं. इसकी वजह कहीं ना कहीं यूजर होता है. चूंकि लोग बहुत से वेबसाइट्स के नोटिफिकेशन को गलती से अलाउ कर देते हैं. इसके बाद उन्हें ऐसे ऐड्स या फिर नोटिफिकेशन आने लगते हैं.
ऐसे ऐड्स के साथ एक बड़ी समस्या इनके फर्जी होने की होती है. वैसे तो आपको अपने फोन में इस तरह के किसी थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत नहीं होती है.
ऐसे ज्यादातर ऐप्स आपका डेटा चुराने की नीयत से तैयार किए जाते हैं. इस स्थिति में अगर आप उन ऐड्स में दिखने वाले ऐप्स को डाउनलोड करते हैं, तो नुकसान होना तय समझिए.
दरअसल, इन ऐप्स का मकसद यूजर्स का डेटा चोरी करना होता है. अगर आप इन ऐप्स को डाउनलोड करेंगे, तो संभव है कि आपका स्मार्टफोन हैक कर लिया जाए. या फिर उसका डेटा चोरी हो जाए. ये ऐप्स ना सिर्फ आपके ID पासवर्ड बल्कि प्राइवेट फोटोज भी चोरी कर सकते हैं.
ऐसे ऐप्स की कोई लिस्ट नहीं है, लेकिन इनकी संख्या काफी ज्यादा है. इस तरह के ज्यादातर मामलों में यूजर्स को पता भी नहीं चलता है कि उनका डेटा चोरी हो रहा है.
गूगल, YouTube, फेसबुक और दूसरे प्लेटफॉर्म्स आपके सर्च पैटर्न को ट्रैक करते हैं. आप गूगल पर क्या सर्च करते हैं, किन चीजों में दिलचस्पी दिखाते हैं. इन सभी के आधार पर ये कंपनियां आपको ऐड्स दिखाती हैं.
चूंकि, आप अपने फोन की बैटरी कैपेसिटी को बूस्ट करना चाहते हैं, इसलिए संभव हो की आपने ही खुद इस बारे में सर्च किया होगा. गूगल ऐड्स आपके सर्च एल्गोरिद्म पर काम करते हैं.
इसलिए आपको बैटरी बूस्टअप से जुड़े ऐड्स और नोटिफिकेशन आने लगते हैं. ऐसी किसी स्थिति से बचने के लिए आपको इनकॉग्निटो मोड में चीजें सर्च करनी चाहिए. वहीं किसी भी थर्ड पार्टी ऐप को डाउनलोड करने से पहले थोड़ी रिसर्च कर लेनी चाहिए. गूगल या ऐपल ऐप स्टोर से भी किसी ऐप को डाउनलोड करते वक्त उसके रिव्यू पढ़ने चाहिए.