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क्या स्मार्टफोन से होता है ब्रेन कैंसर? WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

क्या स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से ब्रेन कैंसर होता है? हाल में आई एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. WHO ने बताया है कि उन्होंने किस आधार पर रिसर्च की और अंतिम परिणाम पर पहुंचे हैं. इस रिव्यू रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 1994 से 2022 तक किए गए तमाम रिसर्च को खंगाला गया है. WHO ने अपनी रिपोर्ट में स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर होने की अवधारणा को गलत माना है.

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क्या स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से कैंसर होता है?  (Representative Image)
क्या स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से कैंसर होता है? (Representative Image)

मोबाइल फोन्स को लेकर आप कई तरह की बातें सुनी होंगी. कई लोग दावा करते हैं कि इनके इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर हो सकता है. इस मामले में अब तक कई रिपोर्ट्स आ चुकी हैं. WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से अब एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिव्यू रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल फोन से ब्रेन कैंसर नहीं होता है. 

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WHO ने पिछले दो से दशक से ज्यादा पुरानी रिपोर्ट्स को खंगाला है और उसके आधार पर अपना रिव्यू तैयार किया है. पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में स्मार्टफोन्स का चलन बढ़ा है. हालांकि, चलन बढ़ने के बाद भी स्मार्टफोन की वजह से ब्रेन कैंसर होने का कोई संबंध नहीं मिला है. 

नहीं होता है ब्रेन कैंसर

इस शोध में ऐसे लोग शामिल हुए हैं, जो स्मार्टफोन का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो सालों से फोन का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

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1994 से लेकर 2022 तक किए गए 63 शोध का रिव्यू करने के बाद रिसर्चर्स ने ये जानकारी रिलीज की है. इस रिसर्च में 10 देशों के 11 जांचकर्ता शामिल हुए थे, जिसमें ऑस्ट्रेलिया सरकार की रेडिएशन प्रोटेक्शन अथॉरिटी के एक्सपर्ट्स भी शामिल थे. 

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यह अध्ययन बच्चों से लेकर उन तमाम लोगों के लिए राहत वाला है, जो काफी ज्यादा वक्त स्मार्टफोन पर गुजारते हैं. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि ज्यादा स्मार्टफोन यूज करने का कोई दुष्परिणाम नहीं है. इस रिव्यू में रेडियोफ्रिक्वेंसी रेडिएशन के प्रभावों पर फोकस किया गया है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन्स के साथ टीवी, बेबी मॉनिटर और दूसरे डिवाइसेस में भी होता है. 

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क्या कहता है IARC?

प्रोफेसर Mark Elwood, जो इस रिसर्च के को-ऑथर होने के साथ कैंसर के एक्सपर्ट भी है. उन्होंने बताया, 'किसी भी शोध में रिस्क बढ़ने की बात सामने नहीं आई है.' अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) ने मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगों को 'Possibly Carcinogenic' यानी श्रेणी 2B में रखा है.

इसका मतलब है कि अभी तक इसका कैंसर से सीधा संबंध साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता है. ये डेटा साल 2011 में की गई जांच का है. पुराने डेटा को देखते हुए एजेंसी के सलाहकार समूह ने इस श्रेणी को जल्द से जल्द फिर से जांचने की सिफारिश की है.

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