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Cyber Fraud Part 2: लिंक, क्लिक और कंगाल... कैसे होता है Phishing Attack, जो कर सकता है बर्बाद

How Phishing Attack Happens: इंटरनेट और ऑनलाइन हो चुकी इस दुनिया में हर कदम पर एक जाल बिछा है. ये जाल स्कैमर्स ने बिछाए होते हैं, जो यूजर्स को फंसाकर उनके साथ धोखाधड़ी करना चाहते हैं. ऐसा ही एक तरीका है Phishing Attack का. इस तरह के स्कैम में बचने के लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.

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कैसे होता है Phishing Attack और आपको बचने के लिए क्या करना होगा?
कैसे होता है Phishing Attack और आपको बचने के लिए क्या करना होगा?

फिशिंग... इसका मतलब तो आप समझते होंगे. जैसे मछली को पकड़ने के लिए कांटा फेंका जाता है. जैसी ही कोई मछली चारे के लालच में कांटे को पकड़ती है, तो वह जाल में फंस जाती है. ऐसा ही कुछ स्कैमर्स आम लोगों को फंसाने के लिए करते हैं. इंटरनेट और ऑनलाइन होती इस दुनिया में फ्रॉडस्टर्स के जाल कदम-कदम पर हैं. 

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हाल में ही 67 करोड़ यूजर्स के डेटा लीक का मामला सामने आया है. तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने इस मामले में दिल्ली से सटे फरीदाबाद से एक शख्स को गिरफ्तार किया है. ये शख्स देश भर के अलग-अलग इलाकों के लोगों को टार्गेट कर रहा था. गिफ्तार शख्स के पास कई बड़ी कंपनियों के यूजर्स का डेटा मौजूद था. 

हाल फिलहाल में Online Scams के मामले में काफी ज्यादा बढ़े हैं. अब बहुत से लोग अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जो अपने डेटा को कुछ भी नहीं समझते. उन्हें लगता है कि अगर किसी के हाथ उनका डेटा लग ही गया, तो इससे क्या हो जाएगा.

आपका डेटा लीक होना कई तरह से आपको मुश्किल में डाल सकता है. मसलन आपका सोशल मीडिया अकाउंट इसकी मदद से हैक किया जा सकता है. यहां तक की आपका बैंक अकाउंट भी खाली हो सकता है. इस तरह के स्कैम में Phishing Attack का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है. 

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वो तरीका जिससे स्कैमर्स के पास होगा आपका सिम कार्ड! चुटकियों में खाली हो जाएगा अकाउंट 

क्या होता है Phishing Attack? 

Cyber Fraud

एक लिंक... क्लिक करते ही आप कंगाल! भले ही आपको ये लाइन किताबी कहानी लगे, लेकिन इस तरह के कई मामले हमें बीते दिनों देखने को मिले हैं. पहले समझते हैं ये स्कैम किस तरह के होता है. कई बार स्कैमर्स एक फर्जी वेबसाइट क्रिएट करते हैं और फिर आपको मैसेज या ईमेल भेजते हैं.

ये मैसेज कई तरह के हो सकते हैं. मसलन किसी जॉब के संदर्भ में या फिर बैंक KYC या इलेक्ट्रिसिटी बिल से जुड़ा हो सकता है. जैसे ही आप इस तरह के किसी मैसेज के साथ आए अनजान लिंक पर क्लिक करते हैं.

आपके सामने एक वेबसाइट खुलेगी, जो होती तो फेक लेकिन देखने में असली जैसी होगी. कई मौकों पर स्कैमर्स यूजर्स के फोन में मैलवेयर प्लांट करते हैं. ज्यादातर मामलों में यूजर्स अपनी डिटेल्स खुद स्कैमर्स को दे देते हैं. आप सोचेंगे ऐसा कैसे होता है, तो आपको पूरे खेल को समझना होगा.

Online fraud

दरअसल, स्कैमर्स आपको एक मैसेज लिखते हैं और लिंक में उसी मैसेज से जुड़ी डिटेल्स भरनी होती हैं. यूजर्स को लगता है कि वो असली वेबसाइट पर अपनी डिटेल्स एंटर कर रहे हैं, लेकिन ये सारा डेटा स्कैमर्स तक पहुंच रहा होता है. 

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फेक वेबसाइट या फिर मैलवेयर यूजर्स की सेंसिटिव जानकारी चुराते हैं. इसमें यूजर्स के बैंकिंग क्रेडेंशियल्स या क्रेडिट कार्ड नंबर और दूसरी डिटेल्स शामिल हो सकती हैं. अटैकर्स इस जानकारी के बदौलत यूजर के बैंक अकाउंट्स तक को खाली कर सकते हैं. 

67 करोड़ लोगों का डेटा चोरी! क्या होता है यूजर डेटा और इसे लीक कैसे किया जाता है

कैसे बच सकते हैं आप? 

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सावधानी हटी, दुर्घटना घटी! आपने ये लाइन कई बार सुनी, पढ़ी और कही होगी. इंटरनेट की इस दुनिया में भी सेफ रहने का बेसिक नियम यही है. आप जितना सावधान रहेंगे, उतना ज्यादा सुरक्षित रहेंगे. इसके अलावा भी आपको कुछ बातों का ध्यान रहना होगा. स्कैमर्स आपको अपने जाल में फंसाने के लिए कन्वेंसिंग मैसेज या मेल लिखते हैं. 

अपने मैसेज को प्रभावी बनाने के लिए इसे असली जैसा रूप देने की कोशिश की जाती है. ऐसे में आपको किसी भी ईमेल या मैसेज को ओपन करने से पहले सोचना चाहिए. वहीं अनजान लिंक्स पर गलती से भी क्लिक करने से बचना चाहिए.

जॉब या फिर आपके अकाउंट में पैसे क्रेडिट हुए हैं. इस तरह के मैसेज आएं, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये स्कैमर्स का जाल हो सकता है. कई बार स्कैमर्स ईमेल के साथ अटैचमेंट भी भेजते हैं, जो PDF या किसी ईमेज की तरह होता है.

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जैसे आप उस अटैचमेंट पर क्लिक करते हैं आपकी स्क्रीन पर कई पॉप-अप खुल जाते हैं. चूंकि कई पॉप-अप ओपन होते हैं, ऐसे में यूजर्स का एक रॉन्ग क्लिक, स्कैमर्स तक अपनी डिटेल्स पहुंचा सकता है. अगर कोई मेल आपके काम का ना हो या लोकलुभावन हो, तो उन पर क्लिक करने से बचें.

इसके अलावा बैंकिंग ऐप्स अब पहले से ज्यादा सिक्योरिटी प्रोवाइड करते हैं. ऐसे में आप अपने कार्ड के लिए लिमिट सेट कर सकते हैं. बल्कि यूज करते वक्त ही कार्ड एक्टिव रखें. सभी परमिशन अलाउ ना करें, बल्कि जरूरी सेवाओं को ही हमेशा एक्टिव रखें. किसी भी अनजान ट्रांजेक्शन पर बैंक और साइबर पुलिस को तुरंत इसकी जानकारी दें.

(क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा ही कोई स्कैम या आप बने हैं किसी तरह की साइबर ठगी के शिकार? अगर हां, तो हम उठाएंगे आपके लिए आवाज. अपनी कहानी साझा करें abhishek.mishra1@aajtak.com पर मेल भेजकर. मेल के साथ FIR की कॉपी जरूर संलग्न करें. ताकि आपकी कहानी से दूसरे रीडर भी ठगों के मंसूबे और पैंतरे समझ सकें और इस लूट से बच सकें. अगर आप चाहेंगे, तो आपकी पहचान को गुप्त रखा जाएगा.)

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